अध्ययन में इस बात का आकलन किया गया कि इन बच्चों की देखभाल उनके पारिवारिक विन्यास, परिवार के लोगों के शारीरिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य, सामाजिक कामकाज आदि पर क्या असर डालती है।
न्यूयॉर्क: ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों के परिवारों को अत्यंत शारीरिक और भावनात्मक बोझ सहना पड़ता है और कई बार उनपर बच्चों के साथ बदसलूकी के भी आरोप लगते हैं। यह बात एक अध्ययन के परिणामों में कही गयी है।
ऑटिज्म बच्चों की विकास प्रक्रिया से जुड़ा एक विकार है जो उनकी संवाद करने और बातचीत करने की क्षमता को प्रभावित करता है। अमेरिका में रुटजर्स विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं समेत अन्य विशेषज्ञों ने ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार से ग्रस्त पाये गये 2 से 20 साल की उम्र के 16 लोगों की देखभाल करने वाले 25 लोगों पर यह अध्ययन किया।
अध्ययन में इस बात का आकलन किया गया-
अध्ययन में इस बात का आकलन किया गया कि इन बच्चों की देखभाल उनके पारिवारिक विन्यास, परिवार के लोगों के शारीरिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य, सामाजिक कामकाज आदि पर क्या असर डालती है इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ऑटिज्म एंड रिलेटेड डिसैबिलिटीज में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार ऐसे परिवारों में भावनात्मक गुबार उठना लाजिमी है जहां ऑटिज्म से जूझ रहे बच्चे रहते हैं।
परिवारों पर पढ़ने वाले बोझ को लेकर जागरुकता पर कम-
अध्ययन में पाया गया कि ऐसे परिवार सामाजिक अलगाव से भी ग्रस्त हैं। रुटजर्स यूनिवर्सिटी में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर तथा अध्ययन के सह-लेखक शु मिंग ने कहा, ‘‘ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से लोगों पर पड़ने वाले असर को लेकर तो समझ बढ़ी है, वहीं इन बच्चों की देखभाल करने वाले परिवारों पर पढ़ने वाले बोझ को लेकर जागरुकता पर कम काम हुआ है।’’
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)