
ढाका। बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन (Bangladesh Protests) और हिंसा के चलते रविवार को 98 लोगों की मौत की जानकारी सामने आई है। सरकारी नौकरी में आरक्षण के खिलाफ प्रोटेस्ट शुरू हुआ था। इसके चलते अब तक 300 से अधिक लोग मारे गए हैं। अब प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
हिंसा की आग में क्यों जल रहा बांग्लादेश?
पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण का प्रावधान था। इसके खिलाफ पिछले महीने के अंत में ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसे पुलिस ने बल पूर्वक दबाने की कोशिश की। नतीजे में हिंसक झड़प हुई। इससे बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और हिंसा हुई।
प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि आरक्षण व्यवस्था भेदभावपूर्ण है। इससे प्रधानमंत्री हसीना की अवामी लीग पार्टी के समर्थकों को लाभ होता है। इस कोटा सिस्टम की शुरुआत 1972 में हुई थी। इसे 2018 में कुछ समय के लिए बंद किया और बाद में फिर से बहाल कर दिया गया। इससे चलते विवाद होते रहे हैं। आलोचकों का आरोप है कि इससे योग्य उम्मीदवारों के लिए अवसर सीमित होते हैं।
सरकार विरोधी आंदोलन में बदला विरोध प्रदर्शन
अब विरोध प्रदर्शन कोटा मुद्दे से आगे बढ़कर सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया है। प्रदर्शनकारियों को फिल्म सितारों, संगीतकारों और यहां तक कि कपड़े की फैक्ट्री चलाने वालों का भी समर्थन मिल रहा है। 2009 से सत्ता में मौजूद पीएम शेख हसीना के लिए यह बड़ी चुनौती है। वह इसी साल जनवरी में हुए चुनाव में जीतकर लगातार चौथी बार सत्ता में आईं हैं। मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने इस चुनाव का बहिष्कार किया था।
पुलिस स्टेशनों पर प्रदर्शनकारी छात्रों ने किया हमला
प्रदर्शनकारी छात्रों ने रविवार को 39 जिलों में जनप्रतिनिधियों के घरों, 20 अवामी लीग कार्यालयों, पुलिस स्टेशनों और अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमला किया। इस दौरान तोड़फोड़ और आगजनी की गई। कई जिलों में प्रदर्शनकारियों और अवामी लीग व उसके सहयोगी संगठनों के नेताओं के बीच झड़पें हुईं। 14 अलग-अलग जगहों पर सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्रियों, राज्य मंत्रियों, सांसदों और नेताओं के घरों और कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई।
उपद्रव के जवाब में सरकार ने रविवार शाम 6 बजे से पूरे देश में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है। सोमवार से तीन दिन की छुट्टी की घोषणा की गई है। इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं हैं। दूसरी ओर प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख राजमार्गों को बंद कर दिया है। पुलिस को निशाना बनाया जा रहा है। सिराजगंज में तेरह पुलिसकर्मियों की पीट-पीटकर हत्या की गई। दो सांसदों के घरों को जला दिया गया।
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