माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से भी ज्यादा होगी चीन के इस गड्ढे की गहराई? जानें इसके पीछे क्या है ड्रैगन की नई चाल

Published : Jun 11, 2023, 03:17 PM IST
chinese hole

सार

इस वक्त चीन टकलामकान एरिया में बहुत ही गहरा गड्ढा खोद रहा है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस गड्ढे की गहराई माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) की उंचाई से भी ज्यादा है। 

China Digging Hole. चीन टकलामकान क्षेत्र में दुनिया का सबसे गहरा गड्ढा खोद रहा है। इसकी गहराई 11 किलोमीटर है और यह माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से भी ज्यादा है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसी क्या जरूरत आ पड़ी कि चीन को इतना गहरा गड्ढा खोदना पड़ रहा है। दुनिया भर की निगाहें इस पर लगी हैं। इससे पहले रूस भी करीब 10 किलोमीटर गहरा गड्ढा खोद चुका है। आइए जानते हैं कि क्या है चीन का मकसद?

क्या टकलामकान में मौजूद है तेल का कुआं

चीन का यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। चीन के उत्तरी-पश्चिमी राज्य सिंकयांग के टकलामकान रेगिस्तान में 11 किलोमीटर गहरे गड्ढे की खुदाई का काम भी शुरू हो चुका है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन के टकलामकान में 9 किलोमीटर गहरा तेल का कुआं पहले से मौजूद है। लेकिन इस खुदाई के पीछे तेल के कुएं के साथ ही इतिहास की परतें खोलना भी है। चीन का मकसद है कि वह प्राचीन क्रेटासियस दौर की जानकारी ले सके। माना जाता है कि क्रेटासियस एक भूगर्भीय काल है जो 145 से 66 मिलियन वर्ष के बीच था। चीन इस गड्ढे से भूगर्भीय काल की जानकारी जुटाना चाहता है। रिपोर्ट्स के अनुसार इस 11 किमी गड्ढे की खुदाई करीब 500 दिनों में पूरी हो जाएगी।

क्यों खास है चीन का यह गड्ढा

  • दुनिया का सबसे गहरा गड्ढा खोदा जा रहा है
  • चीन में गड्ढे खोदने का यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट
  • इंसानों द्वारा खोदा गया सबसे गहरा गड्ढा रूस में है
  • रूस का कोला गड्ढा 12 किमी गहरा खोदा गया है
  • चीन माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से भी गहरा खोद रहा
  • चीन में पहले ही 9 किमी गहरा गड्ढा खोदा गया था

चीन को है तेल और गैस की तलाश

चीन की सबसे बड़ी तेल और गैस कंपनी चाइना नेशनल पेट्रोलियम कारपोरेश तेल और गैस की खोज करेगी। रिपोर्ट्स के अनुसार 11 किमी गहरा गड्ढा खोदने का मकसद वैज्ञानिक रिसर्च के साथ ही तेल और गैस का पता लगाना है। टकलामकान रेगिस्तान को तेल और प्राकृतिक गैस का भंडार भी कहा जाता है। चाइनीज एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग का कहना है कि चीन के लिए यह काफी मुश्किल प्रोजेक्ट है। यहां गर्मियों में 40 डिग्री और सर्दियों में माइनस 20 डिग्री तक तापमान पहुंच जाता है, ऐसे में काम करना बेहद मुश्किल होगा।

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