इस वजह से तेजी से परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा रहा चीन, अमेरिका-रूस के पास हैं 90% न्यूक्लियर वेपन

वैश्विक तनाव बढ़ने के साथ ही चीन अपने परमाणु हथियारों (Nuclear Weapon) की संख्या तेजी से बढ़ा रहा है। वहीं, कुल परमाणु हथियारों की संख्या में कमी आई है।

स्टॉकहोम (स्वीडन)। वैश्विक तनाव बढ़ने के साथ ही चीन अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा रहा है। एक साल में चीन के परमाणु हथियारों की संख्या 350 से बढ़कर 410 हो गई है।

रिसर्चर्स ने सोमवार को कहा कि दुनिया में तनाव बढ़ रहा है, जिसके चलते कई देश अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा रहे हैं। उनका आधुनिकीकरण कर रहे हैं। चीन ने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाने पर विशेष रूप से काम किया है।

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खत्म हो रही परमाणु हथियारों की संख्या में गिरावट की अवधि

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के निदेशक डैन स्मिथ ने कहा कि दुनिया भर में परमाणु हथियारों की संख्या में गिरावट की लंबी अवधि समाप्त हो गई है। दुनिया के नौ देशों के पास घोषित रूप से परमाणु हथियार हैं। इन देशों के नाम अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, भारत, इजरायल, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान हैं।

दुनिया भर में हैं 12,512 परमाणु हथियार

2022 की शुरुआत में पूरी दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या 12,710 थी। 2023 में यह घटकर 12,512 हो गई है। इनमें से 9,576 परमाणु हथियारों को संभावित इस्तेमाल के लिए सैन्य भंडार में रखा गया है। 2022 में 9,490 परमाणु हथियारों को सैन्य भंडार में रखा गया था। डैन स्मिथ ने कहा कि सैन्य भंडार में रखे गए परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि यह 1980 की संख्या से काफी कम है। उस वक्त 70 हजार से अधिक परमाणु हथियार सैन्य भंडारों में रखे गए थे।

एक साल में चीन ने बढ़ाए 60 परमाणु हथियार

SIPRI ने कहा है कि चीन तेजी से अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा रहा है। 2022 में चीन के पास 350 परमाणु हथियार थे। 2023 में यह संख्या बढ़कर 410 हो गई है। रूस, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया ने भी अपने भंडार बढ़ाए हैं। इनके कुल परमाणु हथियारों की संख्या 4,477 से बढ़कर 4,489 हो गई है।

बाकी परमाणु शक्तियों ने अपने हथियारों की संख्या को पहले जितना बनाए रखा है। यहां तक कि इसमें कुछ कमी भी हुई है। अब भी रूस और अमेरिका के पास दुनिया के 90 फीसदी परमाणु हथियार हैं। स्मिथ ने कहा, "बड़ी तस्वीर यह है कि 30 साल से अधिक समय से परमाणु हथियारों की संख्या में कमी आ रही थी। अब हम उस प्रक्रिया को समाप्त होते हुए देख रहे हैं।"

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