चीन ने कुछ भारतीय छात्रों को 2 साल से अधिक समय बाद लौटने की अनुमति दी

कोरोना महामारी (Corona Pandemic ) के चलते 2019 में घर लौटे कुछ भारतीय छात्रों को चीन ने वापस आने की अनुमति देने का फैसला किया है। इसके लिए भारत से छात्रों की लिस्ट मांगी गई है। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 29, 2022 4:35 PM IST

बीजिंग। चीन ने शुक्रवार को कोविड -19 महामारी (COVID-19 pandemic) के कारण बीजिंग द्वारा लगाए गए वीजा और उड़ान प्रतिबंधों के बाद दो साल से अधिक समय तक भारत में फंसे कुछ भारतीय छात्रों की वापसी की अनुमति देने की योजना की घोषणा की है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा है कि चीन ने भारतीय छात्रों की पढ़ाई के लिए चीन लौटने के बारे में भारतीय छात्रों की चिंताओं को उच्च महत्व दिया है। हमने भारतीय पक्षों के साथ अन्य देशों के छात्रों की प्रक्रियाओं और अनुभव को साझा किया है जो चीन लौट रहे हैं। भारतीय छात्रों की वापसी के लिए काम शुरू हो चुका है। भारतीय पक्ष को केवल उन छात्रों की सूची उपलब्ध कराना बाकी है, जिन्हें वास्तव में चीन वापस आने की जरूरत है।

पहले की रिपोर्टों के अनुसार 23,000 से अधिक भारतीय छात्र चीन में पढ़ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर चीनी कॉलेजों में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। दिसंबर 2019 में चीन में कोरोनोवायरस का संक्रमण फैलने के चलते वे भारत लौट आए थे। इसके बाद से वे चीन नहीं जा पाए। 

चीन ने छात्रों के लौटने पर लगा दिया था प्रतिबंध
चीन ने छात्रों के लौटने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद से भारतीय छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए चीन लौटना चाहते हैं, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिल रही थी। बीजिंग ने भारतीयों के लिए सभी उड़ानें और वीजा रद्द कर दिए थे। इसके चलते छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं तक ही सीमित रहना पड़ा। छात्रों के अलावा चीन में काम करने वाले भारतीयों के सैकड़ों परिवार भी चीन द्वारा भारत से वीजा और उड़ानें रद्द करने के मद्देनजर घर वापस आ गए थे।

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झाओ लिजियन ने कहा कि हम समझते हैं कि चीन में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं। भारत को नाम एकत्र करने के लिए कुछ समय की आवश्यकता हो सकती है। चीन मौजूदा जटिल गंभीर महामारी की स्थिति के तहत कुछ भारतीय छात्रों को आने देने के लिए तैयार है। अध्ययन के लिए चीन लौटने वाले विदेशी छात्रों को संभालने में हमें अंतरराष्ट्रीय महामारी की स्थिति को ध्यान में रखना होगा। यह सिद्धांत सभी विदेशी छात्रों पर समान रूप से लागू होता है।

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