China की चेतावनी हुई बेकार, Nancy Pelosi पहुंची Taiwan, अब बोला-टारगेटेड मिलिट्री एक्शन के लिए PLA तैयार

चीन और अमेरिका में ताइवान को लेकर टकराव बढ़ चुका है। अमेरिका स्पीकर नैन्सी पेलोसी के ताइवान यात्रा को लेकर चीन काफी मुखर हो चुका है। उधर, अमेरिका ने भी चीन की धमकियों को दरकिनार कर यात्रा को जारी रखा है।

नई दिल्ली। अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ऐतिहासिक यात्रा को लेकर ताइवान दुनिया की दो महाशक्तियों के बीच टकराव का केंद्र बन गया है। चीन की धमकियों के बीच एक अतिसुरक्षित विमान में नैन्सी पेलोसी ताइवान पहुंच चुकी हैं। पेलोसी को कवर करने के लिए 24 फाइटर विमान भेजे गए थे। पेलोसी को रोकने के लिए चीन की सारी धमकियां बेकार चली गई हैं। यात्रा रद्द कराने के लिए चीन ने हर संभव प्रयास किया, धमकियां दी। ताइवान की ओर चीन ने अपने 21 लड़ाकू विमान भी भेजे। चीनी लड़ाकू विमान ताइवान क्षेत्र में देखे जा रहे हैं। चीन ने विमानों को उड़ाने की धमकी भी दी है। उधर, यूएस ने भी एक एयरक्रॉफ्ट कैरियर समेत चार वॉरशिप्स तैनात कर दी है। ऐसा माना जा रहा है कि यूक्रेन-रूस के बाद अब अमेरिका-चीन के बीच टकराव संभावित है। 

चीन ने ली टारगेटेड मिलिट्री एक्शन की शपथ, गुरुवार से ताइवान के छह क्षेत्रों में मिलिट्री एक्सरसाइज

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चीन ने पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद टारगेटेड मिलिट्री एक्शन की शपथ ली है। चीन की पीएलए गुरुवार से ताइवान के छह क्षेत्रों में सैन्य अभ्यास करेंगे। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने कहा, "चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी हाई अलर्ट पर है और इसका मुकाबला करने के लिए लक्षित सैन्य अभियानों की एक श्रृंखला शुरू करेगी। अमेरिकी डेलीगेशन की यात्रा  की निंदा करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पीएलए, राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करेगी। यह बाहरी हस्तक्षेप और 'ताइवान स्वतंत्रता' अलगाववादी प्रयासों को पूरी तरह से विफल कर देगी।

चीन ने ताइवान की ओर भेजे अपने लड़ाकू विमान

चीन ने ताइवान के मसले में अमेरिकी हस्तक्षेप नहीं करने की चेतावनी दी थी। मंगलवार को अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर भी चीन ने सख्त लहजे में अंजाम भुगतने को चेताया था। लेकिन चीनी धमकियों के बावजूद अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी की यात्रा जारी रही। उधर, अमेरिका के रूख से नाराज चीन ने ताइवान की ओर अपने लड़ाकू विमान भेजने शुरू कर दिए हैं। चीनी वायु सेना के Su-35 लड़ाकू जेट ताइवान स्ट्रेट को पार करते देखे गए। सूत्रों के अनुसार 21 लड़ाकू विमान चाइना ने ताइवान के आसमान में उड़ाए। 

अमेरिका ने भी नैन्सी की सुरक्षा के लिए लड़ाकू बेडे़ भेजे

चीन को जवाब देने के लिए अमेरिका भी तैयार है। अमेरिका ने अपने एक एयरक्रॉफ्ट कैरियर के साथ ही चार वाॅरशिप तैनात कर दिए हैं। यूएस C-40C विमान ने चक्कर लगाया और फिलीपीन सागर से ताइवान के पास पहुंचा।

चीन लगातार कर रहा है विरोध

दरअसल, बीजिंग, ताइवान को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में मानता है। चीन ने 25 से अधिक वर्षों में सर्वोच्च रैंकिंग वाले अमेरिकी अधिकारी की यात्रा को लेकर चेतावनी दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से कहा गया, "अमेरिका भड़काऊ कार्रवाई कर रहा है जिससे ताइवान स्ट्रेट में तनाव बढ़ सकता है। इसे पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अमेरिका निश्चित रूप से जिम्मेदारी लेगा और चीन की संप्रभुता और सुरक्षा हितों को कम करने के लिए कीमत चुकाएगा।

अमेरिका ने साफ कहा-डरेगा नहीं डेलीगेशन भेजेगा

अमेरिका ने कहा कि वह चीनी धमकियों से भयभीत नहीं होगा। वाशिंगटन का ताइवान के साथ आधिकारिक तौर पर कोई राजनयिक संबंध नहीं है, लेकिन द्वीप को अपनी रक्षा में मदद करने के लिए अमेरिकी कानून द्वारा बाध्य है। उधर, अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी ताइवान मंगलवार को पहुंची। यूएस सी -40 सी विमान से उन्होंने ताइवान की धरती पर लैंड किया।

ताइवान की विदेश मंत्री ने की पेलोसी की अगवानी

ताइवान के विदेश मंत्रालय ने यात्रा को लेकर चुप्पी साध रखी है। लेकिन ताइवान की विदेश मंत्री ने हवाई अड्डे पर पेलोसी की अगवानी की है। यहां सैकड़ों लोग उन्हें देखने के लिए उमड़ पड़े। उनके लिए रेड कार्पेट बिछाया गया है। ताइपे की सबसे ऊंची इमारत को स्वागत के तौर पर सजाया गया। पेलोसी को ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू द्वारा आगमन पर बधाई दी गई।

चीन ने बार बार चेताया है अमेरिका को...

चीन ने मंगलवार को भी अमेरिका को चेतावनी दी। उसने अमेरिका को कहा कि वन चाइना प्रिंसिपल ही चीन-अमेरिका संबंधों का राजनीतिक आधार है। अगर अमेरिका, ताइवान स्वतंत्रता को लेकर चीन के खिलाफ अलगाववादी नीति को अपनाता है तो उसको जवाब दिया जाएगा। अमेरिकी अधिकारी पेलोसी द्वारा ताइवान की यात्रा से चीन के आंतरिक मामलों में भारी हस्तक्षेप होगा। इससे ताइवान स्ट्रेट्स में शांति और स्थिरता को बहुत खतरा होगा, चीन-अमेरिका संबंधों को गंभीर रूप से कमजोर करेगा और बहुत गंभीर स्थिति और गंभीर परिणाम देगा। पढ़िए पूरी खबर...

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