चीन पृथ्वी से दूर चंद्रमा पर अपना परमानेंट बेस बनाने की तैयारी कर रहा है। वह ऐसी ईंटों की टेस्टिंग करने वाला है, जो चांद की मिट्टी की बनी होंगी।
बीजिंग: दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां चांद पर सैटेलाइट भेज रही हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने आर्टिमिस मिशन (Artemis Mission) को लेकर कई उड़ानें भविष्य के लिए प्रस्तावित की हैं। वहीं, चीन भी चांद पर एक के बाद एक मिशन भेज रहा है। दरअल, चीन दूसरे देशों के मुकाबले दो कदम आगे चल रहा है। रिपोर्ट्स की मानें,तो चीन पृथ्वी से दूर चंद्रमा पर अपना परमानेंट बेस बनाने की कोशिशों में जुटा है। इसके लिए वह ऐसी ईंटों की टेस्टिंग करने वाला है, जो चांद की मिट्टी की बनी होंगी।
चाइना साइंस डेली की रिपोर्ट के अनुसा चीन के वुहान में हुए एक सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने पुष्टि की कि वो चंद्रमा की सतह पर मिलने वाले मटीरियल का इस्तेमाल कर 3D प्रिंटिंग ईंटों बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
2028 में चंद्रमा पर लैंड करेगा Chang'e 8
रिपोर्टों के अनुसार Chang'e 8 मिशन के दौरान इस दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं। यह मिशन साल 2028 के आसपास चंद्रमा पर लैंड कर सकता है। इस मिशन की मदद से चीन चांद की सतह पर मौजूद मिट्टी आदि का परीक्षण कर सकता है। इस दौरान यह टेस्टिंग भी की जा सकती है कि चांद की मिट्टी वहां परमानेंट बेस बनाने के लिए कितनी उपयोगी हो सकती है।
जानकारी के मुताबिक हुजहोंग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Huazhong University of Science and Technology) के एक साइंटिस्ट ‘डिंग लियुन' ने एक ऐसे रोबोट प्रोटोटाइप को पेश किया है, जिसके 6 पैर हैं। कहा जा रहा है कि यह रोबोट प्रिंटेड ईंटों को एक साथ रख सकता है।
2030 में ILRS के निर्माण की योजना
ऐसे में अगर यह तकनीक काम करती है तो चीन के लिए इंटरनेशनल लूनार रिसर्च स्टेशन (International Lunar Research Station) बनाने की राह आसान हो जाएगी। बता दें कि चीन 2030 के दशक में ILRS के निर्माण की योजन बना रहा है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस विषय पर चीन में पहली बार कोई सम्मेलन हुआ है। इस सम्मेलन के दौरान इस बात पर चर्चा की गई कि चांद पर इंसान के लिए परमानेंट बेस किस तरह तैयार किया जाए?
अन्य देश भी कर रहे हैं ईंटे बनाने का काम
बता दें कि चीन के अलावा अन्य कई देश चांद पर इसी तरह के मिशन पर काम कर रहे हैं। यूरोपीय स्पेस एजेंसी (European Space Agency) भी ऐसी ईंटें बनाने पर काम कर रही है, जिनको पृथ्वी के बाहर इस्तेमाल किया जा सके।
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