भारत की चिंताओं को दरकिनार कर Chinese Spy ship Yuan Wang 5 पहुंचा श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट

श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते यहां चीनी दूतावास से अनुरोध किया कि भारत द्वारा उठाए गए सुरक्षा चिंताओं के बाद पोत की यात्रा स्थगित कर दी जाए। इसके बाद, जहाज योजना के अनुसार गुरुवार को हंबनटोटा बंदरगाह पर नहीं उतरा। लेकिन चीन किसी भी सूरत में श्रीलंका की बात को मानने को तैयार नहीं हुआ।

Dheerendra Gopal | Published : Aug 16, 2022 5:37 PM IST

नई दिल्ली। चीन (China) लगातार अपने पड़ोसियों के हितों की चिंता किए बगैर मनमानी पर उतारू है। ताइवान (Taiwan) में सैन्य ड्रिल और बढ़ाने की घोषणाओं के बीच श्रीलंका (Sri lanka) में भी चीन ने एक मोर्चा खोल दिया है। भारत की चिंताओं को दरकिनार करते हुए चीन ने अपना जासूसी जहाज श्रीलंका में तैनात कर दिया है। मंगलवार की सुबह चीनी जासूसी जहाज, दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह (Hambantota port) पर पहुंचा। हिंद महासागर में निगरानी के लिए एक चीनी अनुसंधान और सर्वेक्षण जहाज को तैनाती की मंजूरी श्रीलंका ने दी है।
चीनी बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज, 'युआन वांग 5', पहले गुरुवार को आने वाला था। जहाज हंबनटोटा के पूर्व में 600 समुद्री मील दूर अपने स्थान से प्रवेश करने के लिए मंजूरी का इंतजार कर रहा था।

श्रीलंका ने भारत की चिंताओं से अवगत कराया लेकिन...

श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते यहां चीनी दूतावास से अनुरोध किया कि भारत द्वारा उठाए गए सुरक्षा चिंताओं के बाद पोत की यात्रा स्थगित कर दी जाए। इसके बाद, जहाज योजना के अनुसार गुरुवार को हंबनटोटा बंदरगाह पर नहीं उतरा। लेकिन चीन किसी भी सूरत में श्रीलंका की बात को मानने को तैयार नहीं हुआ। इसका नतीजा यह रहा कि श्रीलंका सरकार ने आखिरकार जहाज को बंदरगाह पर डॉक करने की इजाजत देनी पड़ी। 

भारत को चिंता कि चीन कर सकता है जासूसी

नई दिल्ली इस आशंका से चिंतित है कि जहाज के ट्रैकिंग सिस्टम श्रीलंकाई बंदरगाह के रास्ते में भारतीय प्रतिष्ठानों पर जासूसी करने का प्रयास कर सकते हैं। भारत ने पारंपरिक रूप से हिंद महासागर में चीनी सैन्य जहाजों के बारे में कड़ा रुख अपनाया है और अतीत में श्रीलंका के साथ इस तरह की यात्राओं का विरोध किया है। 2014 में कोलंबो द्वारा अपने एक बंदरगाह में एक चीनी परमाणु संचालित पनडुब्बी को डॉक करने की अनुमति देने के बाद भारत और श्रीलंका के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे।

श्रीलंका अपना बंदरगाह दे चुका है चीन को पट्टे पर

भारत की चिंताओं को विशेष रूप से हंबनटोटा बंदरगाह पर केंद्रित किया गया है। 2017 में, कोलंबो ने दक्षिणी बंदरगाह को 99 साल के लिए चाइना मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स को पट्टे पर दिया। यह इसलिए क्योंकि श्रीलंका ने चीन से लिया अपना कर्ज चुकाने में असमर्थता जताई थी।

चीन ने परोक्ष रूप से चेताया

चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि "कुछ देशों के लिए श्रीलंका पर दबाव बनाने के लिए तथाकथित सुरक्षा चिंताओं का हवाला देना पूरी तरह से अनुचित था। हालांकि, भारत ने शुक्रवार को चीन के आक्षेप को खारिज कर दिया कि नई दिल्ली ने चीनी अनुसंधान पोत की योजनाबद्ध यात्रा के खिलाफ कोलंबो पर दबाव डाला, लेकिन कहा कि वह अपनी सुरक्षा चिंताओं के आधार पर निर्णय लेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि श्रीलंका, एक संप्रभु देश के रूप में, अपने स्वतंत्र निर्णय लेता है और कहा कि भारत इस क्षेत्र में मौजूदा स्थिति के आधार पर अपनी सुरक्षा चिंताओं पर अपना निर्णय करेगा, खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में।

चीन का काफी निवेश है श्रीलंका में, भारत ने भी की है काफी मदद

बुनियादी ढांचे में निवेश के साथ चीन श्रीलंका का मुख्य लेनदार है। चीनी ऋणों का ऋण पुनर्गठन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ चल रही बातचीत में द्वीप की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा। दूसरी ओर, भारत मौजूदा आर्थिक संकट में श्रीलंका की जीवन रेखा रहा है। यह वर्ष के दौरान श्रीलंका को लगभग 4 बिलियन अमरीकी डालर की आर्थिक सहायता देने में सबसे आगे रहा है क्योंकि द्वीप राष्ट्र 1948 में स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है।

श्रीलंका में आर्थिक बदहाली

22 मिलियन लोगों वाला श्रीलंका, पिछले साल के अंत से आर्थिक बदहाली का सामना कर रहा है। दिवालिया हो चुके देश में भोजन, ईंधन, दवाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। कई कई दिनों तक लाइन में लगने के बाद भी लोगों को पेट्रोल-डीजल नहीं मिल पा रहा है। लोग सड़कों पर है। श्रीलंका के पुराने कैबिनेट को इस्तीफा देना पड़ा है। कभी सत्ता के शिखर पर चमकने वाले राजपक्षे परिवार को जनदबाव की वजह से सत्ता छोड़ना पड़ा। तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे को देश छोड़ना पड़ा है। बीते दिनों, देश में सर्वदलीय सरकार का गठन हुआ था। रानिल विक्रमसिंघे, राष्ट्रपति चुने गए हैं। 

यह भी पढ़ें:

देश के पहले Nasal कोविड वैक्सीन के थर्ड फेज का ट्रॉयल सफल, जल्द मंजूरी के आसार

शिवमोग्गा में सावरकर और टीपू सुल्तान का फ्लेक्स लगाने को लेकर सांप्रदायिक बवाल, चाकूबाजी, निषेधाज्ञा लागू

Share this article
click me!