
नई दिल्ली। अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के एक पूर्व अधिकारी जॉन किरियाकौ (John Kiriakou) ने ऐसा बयान दिया है जिसने पाकिस्तान और भारत दोनों में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा है कि अगर कभी भारत और पाकिस्तान के बीच पारंपरिक युद्ध हुआ, तो पाकिस्तान निश्चित रूप से हार जाएगा। जॉन किरियाकौ ने ANI को दिए इंटरव्यू में अपने 15 साल के CIA अनुभव और पाकिस्तान में आतंकवाद विरोधी अभियानों के दिनों की कई चौंकाने वाली बातें साझा कीं।
किरियाकौ ने बताया कि 2001 के संसद हमले के बाद CIA को यह डर था कि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध छिड़ सकता है। उस समय अमेरिका ने सुरक्षा के लिहाज से अपने नागरिकों को पाकिस्तान से बाहर निकालना भी शुरू कर दिया था। उन्होंने खुलासा किया कि वॉशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच उस दौर में गहरी बेचैनी थी।
सबसे बड़ा दावा उन्होंने यह किया कि पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अपने न्यूक्लियर हथियारों का कंट्रोल पेंटागन (Pentagon) को सौंप दिया था। उन्होंने कहा कि उस समय उन्हें अनौपचारिक रूप से बताया गया था कि अमेरिका ही पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की निगरानी करता है। जॉन किरियाकौ ने कहा है कि “मुशर्रफ को आतंकवादी खतरों का डर था, इसलिए उसने न्यूक्लियर कंट्रोल अमेरिका को दे दिया।"
किरियाकौ ने कहा, भारत को उकसाने का कोई फायदा नहीं
किरियाकौ ने कहा कि पाकिस्तान को यह समझना होगा कि भारत के खिलाफ युद्ध से उसे कुछ भी हासिल नहीं होगा। उन्होंने साफ कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच असली युद्ध से कुछ भी अच्छा नहीं होगा, क्योंकि पाकिस्तान हार जाएगा। मैं परमाणु युद्ध की नहीं, पारंपरिक युद्ध की बात कर रहा हूं।” उन्होंने चेतावनी दी कि भारत को उकसाने से पाकिस्तान को केवल नुकसान होगा, क्योंकि भारत ने पिछले वर्षों में आतंकवादी हमलों के जवाब में बेहद सख्त कदम उठाए हैं- जैसे 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट स्ट्राइक, और 2025 के पहलगाम हमले के बाद चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर।
जॉन किरियाकौ ने एक और बड़ा दावा करते हुए कहा कि अमेरिका चाहता तो पाकिस्तान के परमाणु बम निर्माता अब्दुल कादिर खान (AQ Khan) को खत्म कर सकता था, लेकिन सऊदी अरब की रिक्वेस्ट पर ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि “हमें पता था कि AQ खान कहाँ रहता है, लेकिन सऊदी सरकार ने कहा- उसे मत मारो, हम उसके साथ काम कर रहे हैं।”
किरियाकौ ने स्वीकार किया कि उस दौर में CIA का फोकस मुख्य रूप से अफगानिस्तान और अल-कायदा पर था। भारत की चिंताओं को उतनी अहमियत नहीं दी गई, क्योंकि अमेरिका का ध्यान उस समय आतंकवाद के वैश्विक खतरे की ओर था।
बाद में जॉन किरियाकौ 2007 में एक व्हिसलब्लोअर बन गए। उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में CIA के “टॉर्चर प्रोग्राम” का खुलासा किया था। इसके बाद उन्हें 23 महीने की जेल हुई, लेकिन बाद में आरोप हटा दिए गए। उन्होंने कहा है कि “मुझे कोई पछतावा नहीं है, मैंने वही किया जो सही था।”
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