Condom की वजह से टेंशन में क्यों आ गया WHO, सताने लगा एक डर

यूरोप में सेक्सुअली एक्टिव किशोरों में कॉन्डम का उपयोग कम हो रहा है जिससे WHO को STD के प्रकोप बढ़ने की चिंता सता रही है। सर्वेक्षण से पता चला है कि पिछले एक दशक में कॉन्डम का उपयोग कम हुआ है और असुरक्षित यौन संबंध बढ़े हैं।

कोपेनहेगन। यूरोप में सेक्सुअली एक्टिव किशोर लड़के-लड़कियों के बीच कॉन्डम का इस्तेमाल घट रहा है। यह ट्रेंड इतना बढ़ गया है कि WHO (World Health Organization) को चिंता सताने लगी है। उसे डर लगने लगा है कि इस तरह STD (Sexually Transmitted Disease) का प्रकोप बढ़ सकता है।

WHO ने गुरुवार को कहा कि पिछले एक दशक में यूरोप में किशोरों के बीच कॉन्डम का इस्तेमाल घटा है। असुरक्षित यौन संबंधों की दर बहुत बढ़ गई है। यह चिंताजनक है। WHO ने कहा, "इसके चलते युवाओं को STIs (sexually transmitted infections) लगने का खतरा बढ़ गया है। महिलाएं अनचाही प्रेगनेंसी की स्थिति में पड़ रहीं हैं।"

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42 देशों के 2.42 लाख लोगों के बीच किया गया सर्वे

WHO के यूरोपीय क्षेत्र (जिसमें मध्य एशिया भी शामिल है) के 53 देशों में से 42 देशों में 242,000 से अधिक 15 साल से अधिक उम्र के लोगों के बीच सर्वे किया गया। इसके आंकड़ों से पता चला है कि यौन रूप से सक्रिय किशोर लड़कों का अनुपात, जिन्होंने पिछली बार सेक्स करते समय कंडोम का उपयोग किया था, 2014 में 70 प्रतिशत से गिरकर 2022 में 61 प्रतिशत हो गया।

गर्भनिरोधक गोली का भी इस्तेमाल कम कर रहे युवा जोड़े

इसी तरह 2014 में 63 फीसदी लड़कियों ने कहा था कि उन्होंने पिछली बार सेक्स के समय कॉन्डम इस्तेमाल किया था। 2022 में यह संख्या घटकर 57 फीसदी हो गई। करीब एक तिहाई किशोरों ने कहा कि पिछली बार सेक्स करते समय उन्होंने न तो कंडोम और न ही गर्भनिरोधक गोली का इस्तेमाल किया था। 2018 से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।

2014 से 2022 के बीच गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल अपेक्षाकृत स्थिर रहा। 15 साल से अधिक उम्र के 26 प्रतिशत किशोरों ने बताया कि उन्होंने या उनके साथी ने पिछली बार यौन संबंध बनाते समय इसका इस्तेमाल किया था।

रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि कम आमदनी वाले परिवार के लड़के-लड़कियों के कॉन्डम या गर्भ निरोधक गोली इस्तेमाल नहीं करने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे 33 प्रतिशत किशोरों ने बताया कि उन्होंने अपने अंतिम सेक्स के दौरान इनमें से किसी का भी इस्तेमाल नहीं किया। संपन्न परिवारों के बच्चों के मामले में यह आंकड़ा 25 प्रतिशत था।

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