श्रीलंका के मौजूदा आर्थिक और राजनीतिक संकट ने देश के 1.7 बच्चों की जिंदगी खतरे में डाल दी है। यहां के बच्चे पहले ही गंभीर कुपोषण की स्थिति में थे, अब उन पर सोमालिया-यमन और सूडान के बच्चों की तरह संकट मंडराने लगा है। यूनिसेफ ने इसे लेकर चेतावनी दी है। पढ़िए क्या कहता है यूनिसेफ
कोलंबो. आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका(Economic and political crisis in Sri Lanka) में बच्चों की जिंदगी पर सबसे बड़ी मुसीबत टूट पड़ी है। यूनिसेफ श्रीलंका के प्रवक्ता बिस्मार्क स्वांगिन(pokesperson for UNICEF Sri Lanka, Bismarck Swangin) कहते हैं कि श्रीलंका के इस आर्थिक संकट ने देश के 1.7 बच्चों की जिंदगी खतरे में डाल दी है। एक मीडिया से बात करते हुए यूनिसेफ के प्रतिनिधि ने कहा कि श्रीलंका में दक्षिण एशिया में बाल कुपोषण( child malnutrition) की रेट हाई थी, लेकिन इस आर्थिक संकट ने इसे और बढ़ा दिया है। (पहला फोटो क्रेडिट-Venura Chandramalitha)
10 में 7 फैमिली को नहीं मिल पा रहा पूरा भोजन
यूनिसेफ के अनुसार, संकट को कम करने के लिए श्रीलंका में 10 में से 7 परिवारों ने खाना कम खाना शुरू कर दिया है, ताकि फूड बचाया जा सके। पहले जो लोग तीन टाइम खाना खाते थे,अब वे दो बार फूड ले रहे हैं। वहीं, दो बार खाना खाने वाले अब एक बार पर आ गए हैं। यूनिसेफ ने हाल ही में श्रीलंका में 1.7 मिलियन बच्चों को मानवीय सहायता(humanitarian aid) देने के लिए $25 मिलियन की अपील की है, क्योंकि उसने कहा है कि कुपोषण के चलते बच्चों के मरने का खतरा है।
यह है श्रीलंकाई बच्चों का हाल
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, अगर दक्षिण एशिया की बात करें, तो श्रीलंका में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे कुपोषण की सबसे खराब स्थिति में है। यह रेट दूसरी सबसे बड़ी है। कम से कम 17% बच्चे इससे पीड़ित हैं। यह एक ऐसी बीमारी, जिसमें मौत का सबसे अधिक जोखिम होता है। फूड की क्वालिटी और पर्याप्त भोजन न मिल पाना इसकी वजह है। मौजूदा संकट इसे और विकराल बना देगा। यूनिसेफ ने कहा कि इस संकट ने स्कूली बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित किया है, क्योंकि वे ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और स्कूल मील्स की कीमतों के दोगुने होने के कारण भूख से मरने का खतरा है। स्कूल मील्स के बच्चों, खासकर गरीब बच्चों को स्कूल जाने के लिए बड़ा प्रोत्साहन।
सूमोलिया, यमन-सूडान जैसा संकट
यूनिसेफ प्रवक्ता ने कहा कि उनका टार्गेट गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों का इलाज करना, समुदायों को पानी उपलब्ध कराना, गर्भवती मां को पौष्टिक आहार और पूरक आहार प्रदान करना, बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करना और उन्हें सहायता दिलाना करना है, ताकि वे सबसे खराब स्थिति से बचें। यूनिसेफ ने अवैध श्रीलंकाई प्रवासियों( illegal Sri Lankan migrants) का जिक्र किया, जो नाव से ऑस्ट्रेलिया जाने के अपने प्रयासों में पकड़े गए थे। उन्होंने बताया कि लोग तेजी से हताश हो रहे हैं और प्रॉपर्टी बेचने या गहने गिरवी रखकर इस संकट से बचने के उपाय ढूंढ़ रहे हैं। यूनिसेफ के प्रवक्ता ने चेताया कि उसने सोमालिया, यमन और सूडान के साथ काम किया है, श्रीलंका में भी इसी तरह का संकट है।
31 मार्च 2022: आर्थिक संकट गहराने पर श्रीलंका में प्रदर्शन का दौर
1 अप्रैल: राष्ट्रपति गोठबाया राजपक्षे ने नेशनवाइड इमरजेंसी का ऐलान किया
3 अप्रैल: मंत्रिमंत्रडल भंग किया गया, लेकिन PM महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा देने से इनकार किया
9 अप्रैल: PM ऑफिस के बाहर जबर्दस्त प्रदर्शन
9 मई: हिंसा होने के बाद PM महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा
9 जुलाई: प्रदर्शनकारी ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा किया, PM रानिल विक्रमसिंघे ने इस्तीफे का ऐलान किया
10 जुलाई: राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे राष्ट्रपति भवन छोड़कर भागे
यह भी पढ़ें
कौन हैं श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे जो अपनी जान बचा देश छोड़ भागने को हुए मजबूर
श्रीलंका में विपक्षी दलों में सहमति, बुधवार को राष्ट्रपति गोटाबया के इस्तीफा के बाद बनेगी नई सरकार
श्रीलंका के हालात पर भारत अलर्ट, पड़ोसी धर्म निभाते हुए इस साल की 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद