सार

पिछले कुछ महीनों से लगातार आर्थिक संकट से जूझ रह श्रीलंका में अब लोगों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है। इसी बीच, खबर है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे खुफिया रास्ते के जरिए देश छोड़कर भाग गए हैं। आखिर कौन हैं गोटबाया राजपक्षे और क्यों श्रीलंका की जनता उनसे नाराज है? आइए जानते हैं। 

Who is Gotabaya Rajapaksa: श्रीलंका पिछले कुछ महीनों से लगातार आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसके चलते वहां सड़कों पर विरोध करने वाले लोग अब राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गए हैं। इसी बीच, खबर है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए हैं। उनकी एक फोटो भी सामने आई थी, जिसमें नेवी के जहाज पर कुछ लोग उनका सामान ले जाते नजर आए थे। रविवार को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति भवन में खुफिया रास्ता है और वहीं से गोटबाया अपनी जान बचाकर भाग गए हैं।

राजधानी कोलंबो में स्थित राष्ट्रपति भवन के पहले फ्लोर पर ये बंकर बनाया गया है। इस बंकर से बाहर जाने के पहले यहां लकड़ी की एक अलमारी फिट की गई है। इस अलमारी की बनावट ऐसी है कि आसानी से कोई भी ये पता नहीं लगा सकता है कि यहां से कोई खुफिया रास्ता भी हो सकता है। हालांकि, खुफिया रास्ते से निकलने से पहले गोबाया ने सरकारी अफसरों से कहा कि बाहर से आने वाली गैस की अनलोडिंग और उसकी सप्लाई का काम तेजी से किया जाए। 

कौन हैं गोटबाया राजपक्षे?
श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट के बीच प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर चुके हैं। वहीं, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे 5 जुलाई से ही गायब हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapaksa) पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई हैं। गोटाबाया राजपक्षे का जन्म 20 जून, 1949 को श्रीलंका के एक मशहूर राजनीतिक परिवार में हुआ। गोटबाया ने अपनी स्कूली पढ़ाई कोलंबो से की। इसके बाद वो 1971 में श्रीलंका की सेना में बतौर कैडेट शामिल हुए। उनके बड़े भाई महिंदा राजपक्षे जब राष्ट्रपति थे तो गोटाबाया 2005 से 2014 के बीच रक्षा सचिव रहे। 

गोटबाया राजपक्षे से इसलिए नाराज है श्रीलंका की अवाम : 
बता दें कि श्रीलंका की राजनीति में राजपक्षे परिवार की तूती बोलती है। श्रीलंका की मौजूदा सरकार में राजपक्षे परिवार के 5 लोग मंत्री हैं। कहा जाता है कि इस परिवार ने श्रीलंका की राजनीति में परिवारवाद और भाई-भतीजावाद (Nepotism) को बढ़ावा दिया। 2019 में गोटबाया राजपक्षे आर्थिक पुनरोत्थान जैसे वादों के दम पर चुनाव तो जीत गए, लेकिन इसे अमल में नहीं ला पाए। उनकी नीतियों की वजह से देश में महंगाई और आर्थिक संकट चरम पर पहुंच गया। यहां तक कि बेहद जरूरी ईंधन, एलपीजी, बिजली और खाने-पीने के सामान की भारी किल्लत हो गई। सरकार ने पहले ही चीन से भारी कर्जा ले रखा है। ऐसे में राजपक्षे को सत्ता से हटाने के लिए वहां की जनता सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गई। 

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