तीन महीने में नहीं करा सकते चुनाव, पाकिस्तानी चुनाव आयोग की 'न' से इमरान को लगा झटका

पाकिस्तान में राजनीतिक गतिरोध के बीच 90 दिनों में चुनाव कराने की बात सामने आई है। लेकिन चुनाव आयोग की तैयारी पूरी नहीं है। आयोग का कहना है कि चुनाव की तारीख से 4 महीने पहले तो हमें घोषणा करनी होगी। कई जिलों में परिसीमन का मुद्दा भी है। कानूनी अड़चन भी बड़ी रुकावट बन सकती है।  

Vikash Shukla | Published : Apr 5, 2022 6:10 AM IST / Updated: Apr 05 2022, 11:43 AM IST

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में संसद (pakistan national assembly) भंग होने के बाद 90 दिनों में अगले चुनाव कराने की बात सामने आई है। इमरान खान (Imran Khan) तैयारियों में भी जुट गए हैं। उन्होंने आज पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक भी बुलाई है। इस बीच पाकिस्तान के चुनाव आयोग (Election commission pakistan) ने तीन महीने में आम चुनाव कराने में असमर्थता जताई है। यह चुनाव की तैयारियों में लगे इमरान के लिए झटका हो सकता है। आयोग का कहना है कि विभिन्न कानूनी अड़चनों और अन्य चुनौतियां हैं, जिस वजह से इतने कम समय में देश में चुनाव नहीं कराए जा सकते।  

आयोग ने कहा- तैयारियों के लिए छह महीने चाहिए
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने चुनाव आयोग के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि आम चुनाव की तैयारियों में करीब छह महीने लगेंगे। उन्होंने कहा कि निर्वाचन क्षेत्रों का नया परिसीमन, विशेष रूप से खैबर पख्तूनख्वा में काफी काम करना है। यहां 26 वें संशोधन के तहत सीटों की संख्या बढ़ाई गई थीं। उन्होंने कहा कि जिले और निर्वाचन क्षेत्र के अनुसार वोटर लिस्ट को बनाना प्रमुख चुनौतियां हैं। अधिकारी का कहना है कि परिसीमन में काफी समय लगता है। इस मामले में सिर्फ आपत्तियां बुलाने के लिए ही एक महीने का समय देना पड़ता है। परिसीमन के लिए कम से कम तीन महीने का समय चाहिए। इसके बाद वोटर लिस्ट अपडेट करना भी बड़ी चुनौती होगी। 

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मतपत्र खरीदी, ट्रेनिंग और कर्मियों की नियुक्ति छोटी प्रक्रिया नहीं
आयोग के अधिकारियों का कहना है चुनाव सामग्री की खरीद, मतपत्रों की व्यवस्था और मतदान कर्मियों की नियुक्ति के साथ प्रशिक्षण भी बड़ी चुनौतियां हैं। कानून के तहत वाटर मार्क वाले बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाना है, लेकिन ये देश में उपलब्ध नहीं हैं। इन्हें आयात करना होगा। इलेक्शन कमीशन ने 'वॉटर मार्क' के बजाय 'सुरक्षा विशेषताओं' के साथ मतपत्र देने के लिए कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा था।

सामग्री खरीदने जैसी चुनौतियां भी सामने 
अधिकारी ने कहा कि बोलियां आमंत्रित करने के साथ ही वित्तीय और तकनीकी कोटेशन की जांच के लिए भी समय चाहिए होगा। करीब एक लाख मतदान केंद्रों के लिए करीब 20 लाख स्टांप पैड की जरूरत होगी। यह तो केवल एक उदाहरण है। कैंची और बॉल पॉइंट सहित भारी मात्रा में अन्य सामग्री भी खरीदनी होगी। 

कानूनी अड़चनें : कानूनी अड़चनों का जिक्र करते हुए अधिकारी ने कहा कि चुनाव अधिनियम की धारा 14 के तहत चुनाव आयोग को चुनाव से चार महीने पहले चुनाव योजना की घोषणा करनी होती है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के इस्तेमाल और विदेशी पाकिस्तानियों को वोट देने का अधिकार देने वाला कानून भी लागू है और इसे निरस्त करना पड़ेगा। यही नहीं, नेशनल असेंबली के भंग करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। आज इस पर सुनवाई होनी है। इसके फैसले पर भी काफी कुछ निर्भर करेगा।

रद्द करने होंगे स्थानीय चुनाव 
अधिकारी ने कहा कि आयोग ने पहले ही बलूचिस्तान में स्थानीय सरकार (LG) चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा कर दी थी। 29 मई को पोलिंग निर्धारित थी। पंजाब, सिंध और इस्लामाबाद में भी लोकल गवर्नमेंट इलेक्शन कराने की प्रक्रिया भी चल रही थी। अगर हमें आम चुनाव कराने हैं तो ऐसे में हमें एलजी चुनाव रद्द करने पड़ेंगे। 

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