
ब्रुसेल्स। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर यूरोपियन देशों ने प्रतिबंध तो लगाए हैं लेकिन अभी तक रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध नहीं लग सकता है। 27 देशों वाले इस संगठन में शामिल तमाम देशों ने तेल आयात पर प्रतिबंध को लेकर तमाम कठिनाईयों और आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए प्रतिबंध पर सहमति से इनकार कर दिया है। दरअसल, यूरोपीय संघ के देश सोमवार को ब्रसेल्स में एक शिखर सम्मेलन से पहले रूसी तेल आयात प्रतिबंध पर सहमति के लिए बैठे लेकिन सफलता नहीं मिली। कई देशों ने साफ कहा कि यूरोप के लिए आर्थिक जोखिम और बढ़ जाएगा।
सैद्धांतिक सहमति का हो रहा था प्रयास
27 यूरोपीय संघ के देशों के नेता रूस से तेल आयात प्रतिबंध के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमति बनाना चाहते थे। उनको शिखर सम्मेलन के निष्कर्षों का एक मसौदा दिखाया गया, लेकिन व्यावहारिक दिक्कतों का हवाला देते हुए इस पर सहमत नहीं हो सके। अंत में रूस से तेल आयात प्रतिबंध को यूरोपियन संगठन को छोड़ना पड़ा।
तीन महीने से अधिक समय पहले यूक्रेन के साथ रूस के शुरू हुए संघर्ष के बाद यूरोपीय संघ ने रूस के खिलाफ तमाम प्रतिबंध लगा दिए। लेकिन प्रतिबंधों का असर यूरोपीय संघ के देशों पर भी दिख रहा है जिसको लेकर अधिकतर देशों के नेता अब रूस के खिलाफ एकता दिखाने से पीछे हट रहे हैं। हालांकि, अभी तक अन्य मुद्दों या प्रतिबंधों पर सारे यूरोपीय यूनियन देश एकजुट दिखते रहे लेकिन तेल आयात प्रतिबंधों पर सहमति के दौरान सारी एकता धरी की धरी रह गई क्योंकि सभी देश रूसी कच्चे तेल पर ही निर्भर हैं।
दुनिया के देशों ने लगाया है रूस पर प्रतिबंध
बीते 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। यूक्रेन के दो हिस्सों को दो स्वतंत्र देशों की मान्यता देते हुए वहां सैन्य अभियान की अनुमति राष्ट्रपति पुतिन ने दी थी। इसके बाद यूक्रेन में युद्ध छिड़ा हुआ है। अमेरिका सहित अन्य नाटो देश, रूस के खिलाफ यूक्रेन की हर स्तर पर मदद कर रहे हैं। यूक्रेन युद्ध में हजारों लोग मारे जा चुके हैं, लाखों घर छोड़कर शरणार्थी बन चुके हैं। द्वितीय युद्ध के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट है। दुनिया के देशों ने रूस के खिलाफ अभूतपूर्व पश्चिमी प्रतिबंध लगाए हैं।
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