काॅर्बन डाइआॅक्साइड का उत्सर्जन जिस तरह बढ़ रहा उससे तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही। काॅर्बन डाईआॅक्साइड के बढ़ते स्तर का प्रभाव है कि 2021 का साल अबतक का सबसे गर्म साल रहेगा। एक रिसर्च के अनुसार 18वीं सदी में मानव निर्मित काॅर्बन का जितना उत्सर्जन होता था, उसके डेढ़ गुना इस वक्त उत्सर्जन बढ़ेगा।
वाशिंगटन। काॅर्बन डाइआॅक्साइड का उत्सर्जन जिस तरह बढ़ रहा उससे तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही। काॅर्बन डाईआॅक्साइड के बढ़ते स्तर का प्रभाव है कि 2021 का साल अबतक का सबसे गर्म साल रहेगा। एक रिसर्च के अनुसार 18वीं सदी में मानव निर्मित काॅर्बन का जितना उत्सर्जन होता था, उसके डेढ़ गुना इस वक्त उत्सर्जन बढ़ेगा।
अमेरिका और ब्रिटेन की टीम ने की स्टडी
अमेरिका और ब्रिटेन के रिसर्चर्स ने ठंड़े क्षेत्रों में व अत्यधिक बर्फीले क्षेत्रों में काॅर्बन डाईआॅक्साइड के डेटा का अध्ययन किया। रिपोर्ट के मुताबिक 1750-1800 ई. में काॅर्बन डाईआॅक्साइड का औसत स्तर 278 पाट्र्स प्रति मिलियन था। जबकि मार्च 2021 में हमारे वायुमंडल में काॅर्बन डाईआॅक्साइड का यह स्तर 417.14 पीपीएम पहुंच गया है। साल बीतते बीतते यह स्तर 419.5 तक पहुंचने के आसार हैं।
25 प्रतिशत बढ़ने में 300 साल, जबकि 50 प्रतिशत महज 30 साल में
लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर साइन लुईस के अनुसार वायुमंडल में काॅर्बन डाईआॅक्साइड की मात्रा 25 फीसदी बढ़ने में 200 साल लगे थे जबकि महज 30 सालों में यह 50 प्रतिशत बढ़ चुका है। औद्योगिक क्रांति के साथ काॅर्बन उत्सन का प्रतिशत भी तेजी से बढ़ा है।