इस खबर को सुनकर बढ़ जाएगी महिला डॉक्टरों की डिमांड, जानें ऐसा क्या हुआ मरीजों के जिंदा रहने की बढ़ गई उम्मीद?

मेडिकल के क्षेत्र में पुरुष डॉक्टरों की भरमार रहती थी। हालांकि, अब महिलाएं भी इस क्षेत्र में अच्छा नाम कमा रही है। इसी बीच महिला डॉक्टरों को लेकर एक रिसर्च किया गया है, जिसके नतीजे बेहद ही चौंकाने वाले हैं।

महिला डॉक्टर। कहते है डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होता है। ये सच भी है, क्योंकि एक डॉक्टर ही होता है, जो मरीजों का बेहतर ढंग से इलाज करके उन्हें दूसरा जीवन जीने का मौका देते है। पहले इस मेडिकल के क्षेत्र में पुरुष डॉक्टरों की भरमार रहती थी। हालांकि, अब महिलाएं भी इस क्षेत्र में अच्छा नाम कमा रही है। इसी बीच महिला डॉक्टरों को लेकर एक रिसर्च किया गया है, जिसके नतीजे बेहद ही चौंकाने वाले हैं। एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में पुरुष डॉक्टरों द्वारा इलाज किए गए मरीजों की तुलना में महिला डॉक्टरों वाले मरीजों में मृत्यु दर और दोबारा भर्ती होने की संभावना कम होती हैं।

स्टडी में  776,000 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें 458,100 महिला मरीज और 318,800 से अधिक पुरुष मरीज शामिल थे, जो 2016 से 2019 तक चिकित्सा शर्तों के साथ अस्पताल में भर्ती थे। सभी मेडिकेयर द्वारा कवर किए गए थे। रिसर्च में ये पता चला की महिला डॉक्टरों द्वारा इलाज किए जाने पर मरीजों की मृत्यु दर और दोबारा भर्ती होने की दर कम हो गई।  महिला चिकित्सक द्वारा इलाज किए जाने पर महिला रोगियों की मृत्यु दर 8.15 फीसदी थी, जबकि पुरुष चिकित्सक द्वारा इलाज किए जाने पर मृत्यु दर 8.38 फीसदी थी। इस बीच, महिला डॉक्टर द्वारा इलाज करने पर पुरुषों में मृत्यु दर 10.15 फीसदी थी, जबकि पुरुष द्वारा इलाज करने पर 10.23 फीसदी थी।

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महिला डॉक्टर इलाज के दौरान देती है खासा ध्यान

रिसर्चर युसुके त्सुगावा ने माना कि महिला इलाज के दौरान क्वालिटी पर खासा ध्यान देती हैं। यही वजह है कि ज्यादा फिमेल डॉक्टर के होने से रोगियों को ज्यादा फायदा होता है। उन्होंने कहा महिला डॉक्टर अपने मरीजों से बात करने, उनके रिकॉर्ड देखने और प्रक्रियाओं को समझाने में ज्यादा समय बिताती हैं। जब महिला रोगियों की बात आती है तो महिला चिकित्सकों के पास संभवत बेहतर संचार कौशल और अधिक कला मौजूद होती है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि एक महिला चिकित्सक द्वारा इलाज किए जाने से शर्मिंदगी, असुविधा और सामाजिक और सांस्कृतिक कुरितियों को कम करने में मदद मिल सकती है। वहीं साल 2002 के एक अलग अध्ययन में पाया गया था कि महिला डॉक्टर एक मरीज के साथ औसतन 23 मिनट बिताती हैं, जबकि पुरुष डॉक्टर 21 मिनट बिताते हैं।

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