राष्ट्रपति बने तो मामला पहुंचा था SC, बदले में मुशर्रफ ने लगा दिया आपातकाल, अब मिली फांसी की सजा

Published : Dec 17, 2019, 12:44 PM ISTUpdated : Dec 17, 2019, 02:20 PM IST
राष्ट्रपति बने तो मामला पहुंचा था SC, बदले में मुशर्रफ ने लगा दिया आपातकाल, अब मिली फांसी की सजा

सार

पाकिस्तान की एक कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह के मामले में फांसी की सजा सुनाई। पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब  पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में सजा सुनाई गई। 

पेशावर. पाकिस्तान की एक कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह के मामले में फांसी की सजा सुनाई। पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब  पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई। पूर्व सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ अभी संयुक्त अरब अमीरात दुबई में हैं। 3 नवंबर 2007 को आपातकाल की स्थिति के लिए पूर्व सैन्य तानाशाह का उच्च राजद्रोह का मुकदमा दिसंबर 2013 से लंबित था।

नवाज शरीफ ने किया था मुकदमा
मुशर्रफ के खिलाफ यह मुकदमा पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने किया था, जब उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग 2013 में दोबारा सत्ता में आई थी।

2007 में परवेज मुशर्रफ ने क्या किया था?
2007 के अक्टूबर नवंबर में मुशर्रफ ने राष्ट्रपति का चुनाव जीता। उनके चुनाव जीतने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी  गई। इसके बाद उन्होंने आपातकाल लगा दिया। इसके बाद उन्होंने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस इफ्तिखार चौधरी की जगह एक नया मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया, जिसने उनके चुनाव को सही करार दिया। लेकिन 2008 में उन्होंने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह फैसला दो मुख्य सत्ताधारी पार्टियों के उनके खिलाफ महाभियोग लाने के बाद लिया।

2016 में छोड़ दिया था पाकिस्तान
मुशर्रफ ने इलाज कराने के लिए 2016 में पाकिस्तान छोड़ दिया था। अभी वे दुबई में रह रहे हैं। उन पर यह केस 3 नवंबर 2007 से चल रहा है। 2016 में पाकिस्तान छोड़ने के बाद से ही मुशर्रफ को अपराधी घोषित कर दिया गया था।

मुशर्रफ का दिल्ली में हुआ जन्म
परवेज मुशर्रफ का जन्म दिल्ली के दरियागंज में 11 अगस्त 1943 को हुआ। इन्होंने साल 1999 में नवाज शरीफ की लोकतान्त्रिक सरकार का तख्ता पलट कर पाकिस्तान की बागडोर संभाली और 20 जून 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे। दिल्ली में जन्में मुशर्रफ का परिवार भारत के विभाजन के बाद कराची में जाकर बसा।

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