भारत के गेहूं निर्यात ban के खिलाफ G-7 के कृषि मंत्रियों का ग्रुप, ओजडेमिर बोले-हर कोई ऐसा करे तो संकट बढ़ेगा

यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से दुनिया में खाद्यान्न संकट गहराता जा रहा है। इधर दुनिया के दूसरे नंबर के उत्पादक भारत में भी इस बार फसल अच्छा नहीं होने की वजह से यहां भी गेहूं के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में भारत ने भी निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। 

स्टटगार्ट। भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध (India banned Wheat export) लगा दिया है। भारत के इस कदम पर विश्व के सात औद्योगिक देशों के समूह जी-7 (G-7) के कृषि मंत्रियों ने आलोचना की है। गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत के फैसले की निंदा करते हुए मंत्रियों ने कहा कि अगर हर कोई यह कदम उठाना शुरू कर देगा तो संकट और बढ़ेगा। जर्मन कृषि मंत्री केम ओजडेमिर (German Agriculture minister Cem Ozdemir) ने स्टटगार्ट (Stuttgart) में कहा कि अगर हर कोई निर्यात प्रतिबंध या बाजार बंद करना शुरू कर देता है, तो इससे संकट और खराब हो जाएगा।

दरअसल, यूक्रेन युद्ध की वजह से पूरे विश्व में खाद्यान्न संकट गहराता जा रहा है। यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (UN Secretary General Antonio Guterres) ने भी इस संकट को भापते हुए यूक्रेन और रूस को युद्ध समाप्त करने का आग्रह किया था। वह दोनों देशों के बीच शांति के लिए वहां का दौरा भी कर चुके हैं। इसी बीच भारत ने भी गेहूं के निर्यात को अचानक से प्रतिबंधित कर दिया। भारत में इस बार गेहूं का उत्पादन कम हुआ है। देश में ही गेहूं की कीमतें आसमान छू रही है। यही वजह है कि सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना गेहूं के निर्यात पर शनिवार को प्रतिबंध लगा दिया।

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विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है भारत

भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है। प्रतिबंध लगाने के बाद भारत ने कहा कि कम गेहूं उत्पादन और युद्ध के कारण तेजी से उच्च वैश्विक कीमतों सहित कारकों का मतलब है कि वह अब अपनी खाद्य सुरक्षा के बारे में चिंतित है। शुक्रवार को जारी किए गए निर्देश से पहले सभी निर्यात सौदों को अभी पूरा किया जा सकता है लेकिन भविष्य के सभी शिपमेंट के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता है।

वैश्विक बाजार खाद्यान्न संकट से गुजर रहा

भारत का यह निर्णय तब आया जब रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण वैश्विक कृषि बाजार गंभीर तनाव में हैं। पारंपरिक ब्रेड बास्केट का शिपमेंट बाधित है। यूक्रेन में काफी अधिक गेहूं फंसा हुआ है। यूक्रेनी कृषि मंत्री ने अपनी उपज को बाहर निकालने के लिए G7 सहयोगियों के साथ चर्चा के लिए स्टटगार्ट की यात्रा की है। जर्मनी के कृषि मंत्री ओजडेमिर ने कहा कि यूक्रेनी साइलोस में करीब 20 मिलियन टेन गेहूं पड़ा है जिसके निर्यात की जरूरत है। आक्रमण से पहले, यूक्रेन ने अपने बंदरगाहों के माध्यम से प्रति माह 4.5 मिलियन टन कृषि उपज का निर्यात किया था। वैश्विक गेहूं का 12 प्रतिशत, मकई का 15 प्रतिशत और इसके सूरजमुखी के तेल का आधा शामिल है। लेकिन, रूस ने ओडेसा, कोर्नोमोर्स्क और अन्य के बंदरगाहों को रूसी युद्धपोतों द्वारा दुनिया से काट दिया गया है।
ऐसी स्थिति में G7 औद्योगिक देशों के मंत्रियों ने दुनिया भर के देशों से प्रतिबंधात्मक कार्रवाई नहीं करने का आग्रह किया क्योंकि ऐसा होता है तो वैश्विक बाजारों पर दबाव बढ़ेगा।

जी-7 ने किया आह्वान, पीएम मोदी से भी करेंगे अपील

ओजडेमिर सहित जी-7 देशों ने निर्यात बंद होने के खिलाफ बात करते हुए सभी देशों से निर्यात जारी रखने का आह्वान किया है। ओजदेमिर ने कहा कि हम भारत से G20 सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभालने का आह्वान करते हैं। कृषि मंत्री भी जून में जर्मनी में जी7 शिखर सम्मेलन में इस विषय को संबोधित करने की सिफारिश करेंगे, जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।

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