2000 में गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम पर इजरायली कब्जे के खिलाफ दूसरे इंतिफादा (फिलिस्तीनी विद्रोह) हुई थी। इस युद्ध में गाजा में हजारों लोग मारे गए थे। उस फिलिस्तीनी विद्रोह को 23 साल बाद भी जमाल अल-दुर्रा नहीं भूले हैं।
Israel Hamas War: इजरायल और हमास के युद्ध में सबसे अधिक कीमत दोनों तरफ के नागरिकों को चुकानी पड़ रही है। दोनों अपने-अपने उद्देश्य के लिए खून बहा रहे और आम नागरिक निरुद्देश्य अपने-अपनों को गंवा रहे हैं। लाखों घर तबाह हो चुके हैं। हजारों बेघर हो चुके। न जाने कितने घरों के चिराग बुझ गए तो न जाने कितने परिवारों के नामों निशां नहीं बचे। 7 अक्टूबर से गाजापट्टी एक बार फिर तबाही देख रहा। इस तबाही और कत्लेआम ने 2000 में इजरायली कब्जे के खिलाफ दूसरी इंतिफादा (फिलिस्तीनी विद्रोह) की यादें ताजा कर दी हैं।
23 साल पहले दूसरी इंतिफादा
2000 में गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम पर इजरायली कब्जे के खिलाफ दूसरे इंतिफादा (फिलिस्तीनी विद्रोह) हुई थी। इस युद्ध में गाजा में हजारों लोग मारे गए थे। उस फिलिस्तीनी विद्रोह को 23 साल बाद भी जमाल अल-दुर्रा नहीं भूले हैं। जमाल अल-दुर्रा का 11 साल का बेटा मोहम्मद अल-दुर्रा मारा गया था। इस बार इजरायली हमले में उनके परिवार के चार सदस्य मारे गए। इजरायल के हमले में जमाल अल-दुराह के दो भाई, एक भाई की पत्नी और बेटी मारी गई।
कैसे मारा गया 11 साल का मासूम
जमाल अल-दुर्रा उस खौफनाक मंजर को 23 साल बाद भी नहीं भूले हैं। उन पलों को याद करते हुए बताते हैं कि 23 साल पहले उनको बेटा मोहम्मद, दूसरे इंतिफादा के दौरान इजरायली बलों और फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों के बीच गोलीबारी में फंस गया। 30 सितंबर 2000 को दूसरा इंतिफ़ादा शुरू होने के दो दिन बाद, जमाल और मोहम्मद दोनों गुटों के बीच बंदूक की लड़ाई में फंस गए। जमाल बताते हैं कि वह अपने बेटे मोहम्मद को लेकर एक कंक्रीट सिलेंडर के पीछे छिप गए। फ्रांस 2 के लिए उस समय काम करने वाले एक पत्रकार ने उन पलों को कैद किया था। फिल्म में साफ देखी जा सकती है कि कैसे जमाल अपने बेटे मोहम्मद के साथ छिपे हुए हैं।
जमाल ने एक गुट की ओर हाथ हिलाकर रुकने की अपील की लेकिन कोई भी उन पर तरस नहीं खाया। बेटा डरा सहमा उनके पीछे दुबका था लेकिन कुछ पलों में गोलियों की तड़तड़ाहट हुई और मोहम्मद अपने पिता की गोद में खून से लथपथ था। कुछ ही देर में वह दम तोड़ दिया और उस मंजर को आज तक जमाल नहीं भूल सके। दूसरे इंतिफादा के शुरुआती दिनों में जमाल को जो नुकसान हुआ, वह दोनों पक्षों के बीच संघर्ष की क्रूर प्रकृति का प्रतीक है। दूसरा फिलिस्तीनी विद्रोह 2005 में समाप्त हुआ। 1,000 से अधिक इजरायली और 3,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए थे।
(फोटो: 23 साल पहले की यह फोटो जब जमाल अल-दुराह, इजरायल और फिलिस्तीनी विद्रोहियों के बीच फंस गए थे। उनके पीछे छिपा डरा हुआ उनका 11 साल का मासूम मोहम्मद जिसे कुछ ही पल बाद गोली मार दी गई और वह उनकी गोद में दम तोड़ दिया था।)
अब परिवार के चार सदस्य मारे गए
23 साल से बेटे की मौत का शोक मना रहे जमाल अब इस बार अपने परिवार के चार और सदस्यों को खो चुके हैं। इजरायली हमले में चार और सदस्य मारे जा चुके हैं। जमाल अल-दुराह शोक में डूबे हुए कहते हैं कि इजरायल ने 23 साल पहले उनके बेटे मोहम्मद अल दुराह की हत्या की लेकिन उसका खून अभी भी गाजापट्टी में बहता है। हर रोज गाजापट्टी में हमारे बच्चे मारे जा रहे हैं। इजरायल ने परिवार के चार लोगों को निशाना बनाया। मेरे भाई की इकलौती बेटी मारी गई। मेरे दर्जनों पड़ोसी भी मारे जा चुके हैं, जिनमें ज्यादातर बच्चे हैं।
वह जानबूझकर मारते हैं हमारे बच्चों को
जमाल अल-दुराह कहते हैं कि वह जानबूझकर हमारे बच्चों को मारते हैं। हर दिन वे एक बच्चे को मारते हैं। मोहम्मद की हत्या का दृश्य 23 साल बाद भी दोहराया जाता है। मोहम्मद का खून अभी भी बह रहा है। इज़राइल सैन्य कार्रवाई नहीं करता है बल्कि यहां के मासूमों को निशाना बनाता है। वे पश्चिमी हथियारों से नागरिकों को मारते हैं।
7 अक्टूबर से लगातार हमला
दरअसल, फिलिस्तीनी ग्रुप हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल में घुसपैठ कर कत्लेआम मचाने के साथ ही पांच हजार से अधिक रॉकेट्स से हमला बोला था। उस हमले के बाद इजरायल लगातार गाजापट्टी को निशाना बना रहा है। इजरायली हमले में गाजापट्टी पूरी तरह से तबाह हो चुका है। हजारों लोग मारे जा चुके हैं। इजरायल ने गाजा शहर और उत्तरी गाजा से लोगों को दक्षिण क्षेत्र में जाने का आदेश दिया था। अब इजरायली सेना गाजा में घुस चुकी है और वह जमीनी कार्रवाई के लिए तैयार है। पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के खात्मे की कसम खाई है।
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