CCPI 2026: 61.31 अंक… 23वां स्थान! आखिर क्यों 13 रैंक गिर गई भारत की ग्लोबल क्लाइमेट पोज़िशन?

Published : Nov 19, 2025, 08:14 AM IST
Global Climate Change Performance Index India Rank

सार

CCPI 2026 में भारत 13 स्थान गिरकर 23वें स्थान पर आ गया। मुख्य कारण कोयले पर भारी निर्भरता, चरणबद्ध कोयला-समापन की समय-सीमा का अभाव और नवीकरणीय परियोजनाओं से जुड़े विवाद बताए गए। रिपोर्ट ने भारत को “मध्यम प्रदर्शनकर्ता” कहा है।

नई दिल्ली। भारत को जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI 2026) में बड़ा झटका लगा है। इस बार भारत 13 स्थान नीचे फिसलकर 23वें रैंक पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों ने इसके पीछे जो वजहें बताई हैं, उन्होंने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं-आखिर भारत की जलवायु नीति में ऐसा क्या कमी रह गई कि देश की रेटिंग “उच्च प्रदर्शन” से “मध्यम” हो गई?

वैश्विक जलवायु सूचकांक में भारत गिरा: क्या ग़लत हुआ? (India Drops in Global Climate Index: What Went Wrong?)

वैश्विक स्तर पर जलवायु संकट लगातार बढ़ रहा है और दुनिया के देश अपने प्रदूषण कम करने के वादों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई-भारत की ग्लोबल क्लाइमेट परफॉर्मेंस रैंकिंग गिरकर 23वें स्थान पर पहुंच गई है, जबकि पिछले साल भारत टॉप-10 में था। ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को 61.31 अंक मिले हैं और इसका कारण बताया गया है-कोयले के इस्तेमाल में तेजी और इसे कम करने की कोई तय समय सीमा न होना।

CCPI 2026 रिपोर्ट जर्मनवॉच, न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क ने COP30 सम्मेलन में जारी की। रिपोर्ट ने साफ कहा है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े कोयला उत्पादकों में से एक बना हुआ है और नई कोयला खदानों की नीलामी जारी है। यही वजह है कि भारत की प्रगति पर सवाल उठे हैं।

पर क्या कहानी सिर्फ इतनी है? आइए विस्तार से समझते हैं।

India’s Climate Rank गिरने का असली कारण क्या है?

भारत की रैंक गिरने के पीछे कई कारण बताए गए हैं—जिसमें सबसे बड़ा कारण है कोयले से बाहर निकलने की कोई राष्ट्रीय समय-सीमा न होना।

मुख्य पॉइंट्स:

  • कोयले की नई खदानों की नीलामी जारी
  • जीवाश्म ईंधन सब्सिडी में कमी नहीं
  • रिन्यूएबल एनर्जी साइटों पर पर्यावरणीय विवाद
  • 2070 नेट-ज़ीरो लक्ष्य को ‘कमज़ोर’ माना गया

रिपोर्ट ने यह भी कहा कि भले ही भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा, सोलर रूफटॉप, और उर्जा दक्षता कार्यक्रमों में अच्छा काम किया है, लेकिन कोयले पर निर्भरता ने सारी प्रगति को पीछे धकेल दिया।

क्या भारत नवीकरणीय ऊर्जा में पीछे रह गया है?

CCPI विशेषज्ञों के मुताबिक भारत ने कुछ मजबूत कदम जरूर उठाए हैं-

  • 2006 से ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम
  • 2012 से उद्योगों के लिए PAT योजना
  • रिकॉर्ड नवीकरणीय ऊर्जा नीलामी
  • गिरते सोलर टैरिफ
  • 2030 से पहले 50% गैर-जीवाश्म बिजली क्षमता हासिल करना
  • लेकिन इन उपलब्धियों के बावजूद भारत को नवीकरणीय ऊर्जा श्रेणी में ‘निम्न स्कोर’ मिला है।

कारण?

  • बड़े सोलर प्रोजेक्ट्स से भूमि विवाद, विस्थापन, जल संकट और पर्यावरणीय खतरे बढ़ते जा रहे हैं।

क्या भारत का 2070 नेट-जीरो लक्ष्य काफी है?

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का 2070 नेट-जीरो लक्ष्य
  • 1.5°C ग्लोबल तापमान लक्ष्य के अनुरूप नहीं है।
  • विशेषज्ञों ने ये कमियां भी बताईं:
  • 2035 और 2040 के लिए कोई स्पष्ट क्षेत्रीय रोडमैप नहीं
  • राज्यों की जवाबदेही तय नहीं
  • नागरिक समाज और प्रभावित समुदायों से कम सलाह-मशविरा
  • घरेलू स्तर पर जीवाश्म ईंधन का लगातार विस्तार

क्या Coal Dependency भारत की Climate Progress को नुकसान पहुंचा रही है?

  • CCPI के देश विशेषज्ञों ने कहा कि भारत:
  • दुनिया के 10 सबसे बड़े कोयला भंडार वाले देशों में शामिल है
  • आने वाले सालों में कोयला उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रहा है
  • कोयले से बाहर निकलने की कोई डेडलाइन तय नहीं की है
  • यहीं से भारत का स्कोर गिर गया।

Renewable Energy में रिकॉर्ड प्रगति के बावजूद रैंक क्यों गिरी?

रिपोर्ट बताती है कि भारत ने 2030 के लक्ष्य से पहले ही गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50% क्षमता हासिल कर ली है। सोलर रूफटॉप क्षमता 20.8 GW तक पहुंच गई है। नीलामी में निजी कंपनियों की भागीदारी ऐतिहासिक रही है, लेकिन लेकिन, बड़े पैमाने की रिन्यूएबल परियोजनाओं पर भूमि विवाद, विस्थापन, पर्यावरणीय क्षति, स्थानीय समुदायों का विरोध जैसे मुद्दों ने भारत की रैंकिंग को कमजोर कर दिया।

दुनिया की रैंकिंग में कौन आगे कौन पीछे?

टॉप 3 में कोई देश नहीं क्योंकि “किसी ने भी पर्याप्त प्रयास नहीं किए”

  • टॉप देशों में- डेनमार्क: 4th (80.52 points)
  • UK, Morocco आगे
  • सबसे नीचे- सऊदी अरब: अंतिम
  • ईरान: 66
  • अमेरिका: 65

दुनिया के किसी भी देश को पहले तीन स्थान नहीं मिले क्योंकि रिपोर्ट के अनुसार “कोई भी देश खतरनाक जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है।”

क्या India Climate Leadership खो रहा है?

  • भारत ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन में एक बड़ा खिलाड़ी है।
  • अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत मजबूत पक्ष रखता है
  • नवीकरणीय ऊर्जा में तेजी से निवेश हो रहा है
  • ग्रीन फाइनेंस और कार्बन मार्केट में सुधार शुरू हो चुका है

लेकिन जब तक भारत कोयले से बाहर निकलने की स्पष्ट योजना, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और राज्य-स्तरीय क्लाइमेट रोडमैप नहीं बनाएगा, तब तक रैंकिंग में सुधार मुश्किल रहेगा।

क्या भारत को फिर से शीर्ष 10 में आने का मौका है?

भारत अभी भी मध्यम प्रदर्शन श्रेणी में है लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि नीतियों को सुधारकर भारत फिर से टॉप-10 में लौट सकता है। विशेषज्ञों की सलाह:

  • कोल फेज-आउट की स्पष्ट समय-सीमा
  • जीवाश्म सब्सिडी समाप्त
  • विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा
  • पर्यावरण-सुरक्षा मानदंडों को मजबूत करना
  • कमजोर समुदायों को प्राथमिकता

अगर भारत इन बिंदुओं पर तेजी से काम करता है, तो अगली CCPI रिपोर्ट में रैंकिंग बेहतर हो सकती है।

 

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