
नई दिल्ली। भारत को जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI 2026) में बड़ा झटका लगा है। इस बार भारत 13 स्थान नीचे फिसलकर 23वें रैंक पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों ने इसके पीछे जो वजहें बताई हैं, उन्होंने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं-आखिर भारत की जलवायु नीति में ऐसा क्या कमी रह गई कि देश की रेटिंग “उच्च प्रदर्शन” से “मध्यम” हो गई?
वैश्विक स्तर पर जलवायु संकट लगातार बढ़ रहा है और दुनिया के देश अपने प्रदूषण कम करने के वादों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई-भारत की ग्लोबल क्लाइमेट परफॉर्मेंस रैंकिंग गिरकर 23वें स्थान पर पहुंच गई है, जबकि पिछले साल भारत टॉप-10 में था। ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को 61.31 अंक मिले हैं और इसका कारण बताया गया है-कोयले के इस्तेमाल में तेजी और इसे कम करने की कोई तय समय सीमा न होना।
CCPI 2026 रिपोर्ट जर्मनवॉच, न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क ने COP30 सम्मेलन में जारी की। रिपोर्ट ने साफ कहा है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े कोयला उत्पादकों में से एक बना हुआ है और नई कोयला खदानों की नीलामी जारी है। यही वजह है कि भारत की प्रगति पर सवाल उठे हैं।
पर क्या कहानी सिर्फ इतनी है? आइए विस्तार से समझते हैं।
भारत की रैंक गिरने के पीछे कई कारण बताए गए हैं—जिसमें सबसे बड़ा कारण है कोयले से बाहर निकलने की कोई राष्ट्रीय समय-सीमा न होना।
मुख्य पॉइंट्स:
रिपोर्ट ने यह भी कहा कि भले ही भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा, सोलर रूफटॉप, और उर्जा दक्षता कार्यक्रमों में अच्छा काम किया है, लेकिन कोयले पर निर्भरता ने सारी प्रगति को पीछे धकेल दिया।
CCPI विशेषज्ञों के मुताबिक भारत ने कुछ मजबूत कदम जरूर उठाए हैं-
कारण?
रिपोर्ट बताती है कि भारत ने 2030 के लक्ष्य से पहले ही गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50% क्षमता हासिल कर ली है। सोलर रूफटॉप क्षमता 20.8 GW तक पहुंच गई है। नीलामी में निजी कंपनियों की भागीदारी ऐतिहासिक रही है, लेकिन लेकिन, बड़े पैमाने की रिन्यूएबल परियोजनाओं पर भूमि विवाद, विस्थापन, पर्यावरणीय क्षति, स्थानीय समुदायों का विरोध जैसे मुद्दों ने भारत की रैंकिंग को कमजोर कर दिया।
टॉप 3 में कोई देश नहीं क्योंकि “किसी ने भी पर्याप्त प्रयास नहीं किए”
दुनिया के किसी भी देश को पहले तीन स्थान नहीं मिले क्योंकि रिपोर्ट के अनुसार “कोई भी देश खतरनाक जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है।”
लेकिन जब तक भारत कोयले से बाहर निकलने की स्पष्ट योजना, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और राज्य-स्तरीय क्लाइमेट रोडमैप नहीं बनाएगा, तब तक रैंकिंग में सुधार मुश्किल रहेगा।
भारत अभी भी मध्यम प्रदर्शन श्रेणी में है लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि नीतियों को सुधारकर भारत फिर से टॉप-10 में लौट सकता है। विशेषज्ञों की सलाह:
अगर भारत इन बिंदुओं पर तेजी से काम करता है, तो अगली CCPI रिपोर्ट में रैंकिंग बेहतर हो सकती है।
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