
वर्ल्ड डेस्क। डेनमार्क का अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र ग्रीनलैंड तेल, गैस और रेयर अर्थ एलिमेंट जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। आर्कटिक क्षेत्र में इसकी रणनीतिक स्थिति है। इस क्षेत्र में रूस और चीन जैसी वैश्विक शक्तियां अपना प्रभाव बढ़ा रही हैं। इसने ग्रीनलैंड के महत्व को और बढ़ा दिया है।
अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने वाले हैं। उन्होंने ग्रीनलैंड को अमेरिका का हिस्सा बनाने की बात कही है। कहा है कि ग्रीनलैंड की रणनीतिक और आर्थिक क्षमता को देखते हुए इसका अधिग्रहण जरूरी है। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डेनमार्क के खिलाफ टैरिफ सहित सैन्य या आर्थिक उपायों से इनकार नहीं किया है।
ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एगेडे ने अपने देश को अमेरिका में मिलाने से साफ इनकार किया है। उन्होंने कहा है कि वे अमेरिकी नहीं बनना चाहते। वह डोनाल्ड ट्रम्प के साथ “बातचीत के लिए तैयार” हैं। एगेडे ने कहा है कि ग्रीनलैंड आत्मनिर्णय और अपनी स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्ध है।
कोपेनहेगन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एगेडे ने कहा, "हम डेनिश नहीं बनना चाहते। हम अमेरिकी नहीं बनना चाहते। हम ग्रीनलैंडिक बनना चाहते हैं। ग्रीनलैंडिक लोग अपना भविष्य खुद तय करेंगे।" इस दौरान डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन भी मौजूद थीं।
एगेडे ने ग्रीनलैंड की उत्तरी अमेरिका से भौगोलिक और रणनीतिक निकटता स्वीकार की। कहा कि यह “एक ऐसा स्थान है जिसे अमेरिकी अपनी दुनिया के हिस्से के रूप में देखते हैं।” ट्रम्प को लेकर उन्होंने कहा, "हम बातचीत के लिए तैयार हैं। मुझे लगता है कि हम दोनों अपनी बातचीत बढ़ाने और एक-दूसरे तक पहुंचने के लिए तैयार हैं।"
बता दें कि ग्रीनलैंड के पीएम एगेडे स्वतंत्रता समर्थक हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका के साथ बातचीत के लिए खुलेपन का संकेत देकर उन्होंने डेनमार्क को कमजोर करने का प्रयास किया है। डेनमार्क को उन्होंने औपनिवेशिक शक्ति के रूप में पेश किया है। एगेडे ने कहा, “हमारे अंदर स्वतंत्रता की इच्छा है। अपने घर का मालिक बनने की इच्छा है। यह ऐसी चीज है जिसका सभी को सम्मान करना चाहिए।” इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्वतंत्रता के लिए प्रयास का मतलब डेनमार्क के साथ संबंधों को पूरी तरह से तोड़ना नहीं है।
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