पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट कर एक बार फिर चर्चा में हैं। लेकिन किसान आंदोलन को समर्थन देने के पीछे उनका मकसद हैरान करने वाला है। दरअसल, वे इसके जरिए भारत को बदनाम करने में जुटी हैं। इसका खुलासा उनके उस ट्वीट से हो गया, जिसमें उन्होंने डॉक्यूमेंट साझा किया।
नई दिल्ली. पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट कर एक बार फिर चर्चा में हैं। लेकिन किसान आंदोलन को समर्थन देने के पीछे उनका मकसद हैरान करने वाला है। दरअसल, वे इसके जरिए भारत को बदनाम करने में जुटी हैं। इसका खुलासा उनके उस ट्वीट से हो गया, जिसमें उन्होंने डॉक्यूमेंट साझा किया।
ग्रेटा थनबर्ग ने बुधवार को एक ट्वीट किया। इसमें उन्होंने आंदोलन कर रहे किसानों की मदद करने के लिए टूलकिट जारी की। इसके साथ ही उन्होंने इसमें डॉक्यूमेंट साझा किए, जिसमें उन्होंने भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कार्ययोजना साझा की। उन्होंने 5 चरणों में दबाव बनाने की बात कही।
हालांकि, कुछ देर बाद ही उन्होंने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया। हालांकि, इससे पहले ही लोगों ने उनके इस ट्वीट का स्क्रीन शॉट ले लिया।
क्या है ट्वीट में ?
ग्रेटा ने कार्ययोजना में गणतंत्र दिवस से पहले शुरू किए गए उस अभियान का भी खुलासा किया जिसमें 26 जनवरी को भारत सरकार के खिलाफ 'वैश्विक रूप से समन्वित कार्रवाई' की मांग की गई थी।
6 पेजों के गूगल डॉक्यूमेंट में लोगों से अपील की गई कि वे या तो अपने आस पास विरोध प्रदर्शनों में शामिल हों, या विरोध प्रदर्शन करें।
डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि आपको भारतीय दूतावास के पास या अपने पास किसी स्थानीय सरकारी ऑफिस या अडानी और अंबानी की कंपनियों के पास प्रदर्शन आयोजित करना है। जब हम 26 जनवरी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, आपसे अपील की जाती है कि जितना संभव हो विरोध प्रदर्शन जारी रखें, क्योंकि यह जल्द ही खत्म होने वाला नहीं है।
'भारत लोकतंत्र से पीछे हट रहा'
इसमें दावा किया गया है कि भारत लोकतंत्र से पीछे हट रहा है। कठोर रूप से शासन किया जा रहा है। इसके साथ ही इसमें कहा गया है कि भारत की सरकार पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव डालना जरूरी है।
13-14 फरवरी के लिए भी योजना तैयार
इस डॉक्यूमेंट में 13-14 फरवरी को अपने पास भारतीय दूतावास, मीडिया हाउस या स्थानीय सरकारी दफ्तरों के पास ऑन ग्राउंड विरोध प्रदर्शन के लिए भी कहा गया है।
भाजपा को बताया गया फासीवादी पार्टी
इतना ही नहीं इस डॉक्यूमेंट में भारत की सत्ताधारी पार्टी भाजपा को फासीवादी पार्टी करार दिया गया है। इन सबसे यह साफ होता है कि यह सब प्रोपेगेंडा का हिस्सा है।