पाकिस्तान में कट्टरपंथियों द्वारा एक मंदिर पर हमला और देवी-देवताओं की मूर्तियों को तहस नहस करने के बाद अब अफगानिस्तान में ऐतिहासिक गुरुद्वारे पर तालिबानी कट्टरपंथियों ने निशाना बनाया है। यहां पवित्र निशान साहेब ध्वज को उखाड़ दिया गया है।
कंधार। अफगानिस्तान (Afghanistan) तालिबानी शासन की ओर बढ़ रहा है और इसी के साथ वहां कट्टरपंथ हावी होता जा रहा है। महिलाओं और पुरुषों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं, साथ ही गैर इस्लामिक लोगों का प्रताड़ना भी शुरू हो चुका है। तालिबानियों ने यहां के पक्तिया प्रांत के चमकानी इलाके में गुरुद्वारा थाला साहिब (Gurudwara Thala Sahib) की छत से सिख समाज का पवित्र निशान साहिब ध्वज उतरवा दिया है। गुरु नानक देव (Guru Nanak Dev) भी इस गुरुद्वारे में जा चुके हैं।
तालिबानियों के निशाने पर रहा है यह गुरुद्वारा
गुरुद्वारा थाला साहिब हमेशा से तालिबानियों के निशाने पर रहा है। बीते साल इस गुरुद्वारे से निदान सिंह सचेदवा (Nidan Singh Sachdeva) नामक एक व्यक्ति को यहां से अगवा कर लिया गया था। हालांकि, सचदेवा को अफगान सरकार और समुदाय के बड़े नेताओं के प्रयासों के बाद तालिबान (Taliban) से 22 जून, 2020 को रिहा कराया गया था। बीते साल मार्च में ही काबुल में एक आतंकी हमले में सिख समुदाय के 30 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस हमले की जिम्मेदारी खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) ने ली थी। लेकिन भारतीय अधिकारियों के अनुसार इस वारदात में हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था।
तालिबान फिर हो रहा अफगानिस्तान पर हावी
अफगानिस्तान में अमेरिकी सेनाओं की हो रही वापसी के साथ ही तालिबानियों का अत्याचार बढ़ा है। तालिबान के आतंकी पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा करने की नियत से लगातार युद्ध कर रहे हैं। जगह जगह हत्याएं हो रही हैं। समाज के प्रबुद्ध वर्ग को तालिबानी लगातार निशाना बना रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में कवि, लेखक, कॉमेडियन समेत कई लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं। भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Danish Siddique) को भी तालिबान ने निर्मम तरीके से मार डाला था।
दरअसल, अफगानिस्तान से इसी अगस्त तक अमेरिकी सेनाओं की वापसी हो जाएगी। अमेरिकी सेनाओं (US Army) की वापसी के बाद तालिबान यहां अपना पूर्ण नियंत्रण चाहता है। तालिबान यहां इस्लामिक कानून लोगों पर थोपने के साथ इसे आतंक का अखाड़ा बनाना चाहता है। अफगानिस्तान की सेना इतना ट्रेंड नहीं है कि अकेले वह तालिबान के ट्रेन्ड आतंकियों की फौज से लड़ सके। हालांकि, अफगानी सेना लगातार लड़ रही है और तालिबानियों के छक्क छुड़ाए हुए है लेकिन कई लेवल पर वह असफल साबित भी हो रही।
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