अजीब हुई बांग्लादेश की इस 'मछली रानी' की कहानी, रेट सुन लोगों के हाथ से फिसल रही है, पढ़िए ये माजरा क्या है?

बांग्लादेश के मछली उत्पादन(fish production) सबसे बड़ा योगदान देने वाली में इलिश(Ilish) आमजनों की पकड़ से छिटक गई है। ईंधन(डीजल) की कीमतें बढ़ने से इसकी कीमतें डबल हो गई हैं। जबकि बरसात के मौसम में यह आमतौर पर सस्ती और सहज उपलब्ध होती रही है।

ढाका. बांग्लादेश के मछली उत्पादन(fish production) में सबसे बड़ा योगदान( highest contribution) देने वाली में इलिश(Ilish) आमजनों की पकड़ से छिटक गई है। ईंधन(डीजल) की कीमतें बढ़ने से इसकी कीमतें डबल हो गई हैं। जबकि बरसात के मौसम में यह आमतौर पर सस्ती और सहज उपलब्ध होती रही है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। एक मछली की प्रजाति के रूप में देश के मछली उत्पादन में इलिश का सबसे अधिक योगदान है। सरकार हर साल इलिश के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसे पकड़ने, बेचने, जमाखोरी और परिवहन पर दो महीने का प्रतिबंध लगाती है। इलिश को अलग-अलग देशों में इलीशी, हिल्सा, हेरिंग या हिल्सा शाद के नाम से भी जाना जाता है। इसे लेकर बांग्लादेश के प्रमुख मीडिया हाउस dhakatribune ने एक रिपोर्ट पब्लिश की है।

महंगाई के कारण हाथ से फिसली इलिश
आमतौर पर जब बरसात का मौसम में हो और इलिश(ilish) का जिक्र छिड़े, तो सामान्य नियम यह है कि आप इस सीजन में सर्दियों की तुलना में इसे सस्ते में खरीद सकते हैं। लेकिन इस साल यहां लगातार अच्छी बारिश भी इसकी कीमत कम करने मे विफल रही है। सरल शब्दों में कहें, तो आम भुक्खड़ों(gastronomes) के लिए इलिश का स्वाद उनकी जीभ से दूर है। अधिकारी इलिश की आसमान छूती कीमतों के लिए ईंधन की बढ़ती कीमतों और बेईमान मछली व्यापारियों द्वारा जमाखोरी को जिम्मेदार ठहराते हैं।

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जानिए क्या कहते हैं डिस्ट्रिक्ट फिशरीज आफिसर
डिस्ट्रिक्ट फिशरीज आफिसर(district fisheries officer) जोयदेब पाल के अनुसार, "मछुआरे डीजल की बढ़ती कीमतों से जूझ रहे हैं। उन्हें अपने ट्रॉलर चलाने के लिए डीजल की जरूरत होती है। इसके अलावा, रेफ्रिजरेटर में मछली जमा करने वाले लोग भी इलिश की कीमतों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं।" बरगुना के एक मछुआरे बेलायेत मीर(Belayet Mir) ने कहा, "मछली पकड़ने के लिए हम जिन ट्रॉलरों का इस्तेमाल करते हैं और ट्रासंपोर्ट्स के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ट्रक और मिनी ट्रक सभी डीजल से चलते हैं। इसलिए, ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर हम पर पड़ा है।"

दुर्गा पूजा की वजह से भी कीमतें बढ़ीं
हालांकि, कुछ मछली व्यापारियों ने दावा किया कि सरकार द्वारा 49 बिजनसे यूनिट्स को आगामी दुर्गा पूजा के लिए भारत को 2,400 मीट्रिक टन इलिश निर्यात करने की अनुमति देने के मद्देनजर इलिश की कीमतें बढ़ गई हैं। मछली व्यापारी शेख सैदुल इस्लाम ने कहा: “सरकार के मल्टीपर्पज प्लान के कारण इलिश का उत्पादन बढ़ा है, लेकिन इसकी कीमतें बाजार की मांग के अनुसार बदलती रहती हैं।"

डबल कीमत हुई इलिश की
खुलाना सिटी के विभिन्न बाजारों-गैलामारी बाजार, संध्या बाजार, न्यू मार्केट बाजार, रूपा बाजार, नटुन बाजार, बोयरा बाजार और खलिशपुर बाजार में हाल में लोकल मीडिया ने यह चेक करने व्यापारियों ने बातचीत की थी। उदाहरण के तौर पर संध्या बाजार में एक किलो इलिश 1,200-1,300 रुपये में बेची जा रही थी, जबकि इसकी सामान्य कीमत 600-800 रुपए है। गैलामारी बाजार के एक रिटेल ट्रेडर अफजल ने कहा कि "ज्यादातर लोग सिर्फ कीमतें पूछ रहे हैं, लेकिन मछली खरीदने से परहेज कर रहे हैं।" रूपशा मछली बाजार के एक व्यापारी इशाक सदस्य ने कहा-"सैकड़ों व्यापारी इलिश व्यवसाय में शामिल हैं। हम सभी संबंधित अधिकारियों से व्यवसाय के विकास के लिए कदम उठाने का आग्रह करते हैं।"

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