हिजाब न पहनने पर ईरान में सरकार कराएगी 'ट्रीटमेंट', महिलाओं का फूटा गुस्सा

Published : Nov 15, 2024, 12:44 PM IST
hijab

सार

ईरान में हिजाब न पहनने पर महिलाओं के लिए 'ट्रीटमेंट सेंटर' खोलने के फैसले पर विवाद छिड़ गया है। महिलाओं ने इसे जेल बताया है और मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है।

Hijab treatment: ईरान ने महिलाओं के हिजाब न पहनने पर और सख्ती करने का ऐलान किया है। ईरानी सरकार ने देश में अनिवार्य हिजाब नियमों का पालन न करने वाली महिलाओं के लिए ट्रीटमेंट फैसिलिटी की घोषणा की है। हालांकि, सरकार को फैसले की मानवाधिकार समूहों और ईरानी महिलाओं ने खुलकर निंदा की है। तेहरान मुख्यालय के महिला और परिवार विभाग की प्रमुख मेहरी तालेबी दारस्तानी ने कहा कि क्लिनिक "हिजाब हटाने के लिए वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक उपचार" प्रदान करेगा।

महिलाओं ने कहा कि यह जेल होगा न कि क्लिनिक

ईरान सरकार की घोषणा के बाद महिलाओं ने भय और क्रोध को बढ़ावा देने वाला इसे करार दिया है। ईरानी महिलाओं ने कहा कि यह एक क्लिनिक नहीं होगा, यह एक जेल होगा। हम गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और बिजली कटौती हो रही है लेकिन कपड़े का एक टुकड़ा ही वह चीज है जिसकी इस राज्य को चिंता है। अगर हम सभी के लिए सड़कों पर वापस आने का समय है, तो वह समय अभी है या वे हम सभी को बंद कर देंगे।

विवि में छात्रा के हिजाब उल्लंघन के बाद सरकार हुई सक्रिय

दरअसल, यह घोषणा एक विश्वविद्यालय की छात्रा की रिपोर्ट के बाद की गई। छात्रा को हिजाब उल्लंघन के लिए सुरक्षा गार्डों द्वारा कथित रूप से उत्पीड़न का सामना करने के बाद परिसर में अपने कपड़े उतारने के लिए गिरफ्तार किया गया था, उसे एक मनोरोग अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने जबरन दवा और यातना पर चिंता जताई

ईरान सरकार के फैसले के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है। दरअसल, इनका मानना है कि नियमों की आड़ में ईरानी अधिकारियों द्वारा मानसिक रूप से अस्थिर माने जाने वाले प्रदर्शनकारियों और असंतुष्टों के खिलाफ जबरन दवा और यातना की जाएगी। ब्रिटेन में रहने वाली ईरानी पत्रकार सिमा सबेट ने कहा: बिना परदे वाली महिलाओं को 'ठीक' करने के लिए क्लीनिक स्थापित करने का विचार डरावना है, जहां लोगों को केवल इसलिए समाज से अलग कर दिया जाता है क्योंकि वे सत्ताधारी विचारधारा के अनुरूप नहीं हैं। मानवाधिकार वकील होसैन रईसी ने क्लीनिक के विचार की आलोचना करते हुए कहा कि यह न तो इस्लामी है और न ही ईरानी कानून के अनुरूप है।

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