ईरान के इस जगह पर एकमात्र भगवान विष्णु की हिंदू मंदिर, देखें तस्वीरें और जाने इसका इतिहास?

ईरान के बंदर अब्बास शहर में एक मात्र हिंदू देवता भगवान विष्णु की मंदिर है। इसका इसका निर्माण 1892 ईस्वी में मोहम्मद हसन खान साद-ओल-मालेक के शासनकाल के दौरान किया गया था।

sourav kumar | Published : Apr 5, 2024 11:35 AM IST
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ईरान में हिंदू धर्म एक छोटा धर्म है।

ईरान में हिंदू धर्म एक छोटा धर्म है। 2015 तक ईरान में 39,200 हिंदू रहते थे। इस वजह से ईरान में अब तक केवल दो हिंदू मंदिर का निर्माण किया गया है, जिसको आर्य समाज द्वारा बनाए गया था।

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ईरान के बंदर अब्बास शहर में एक मात्र हिंदू देवता भगवान विष्णु की मंदिर है।

ईरान के बंदर अब्बास शहर में एक मात्र हिंदू देवता भगवान विष्णु की मंदिर है। इसका इसका निर्माण 1892 ईस्वी में मोहम्मद हसन खान साद-ओल-मालेक के शासनकाल के दौरान किया गया था। इसको बनाने में भारतीय व्यापारियों ने भी मदद की थी।

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हिंदू मंदिर एक उल्लेखनीय ऐतिहासिक स्मारकों में से एक

ईरान के बंदर अब्बास में हिंदू मंदिर एक उल्लेखनीय ऐतिहासिक स्मारकों में से एक माना जाता है, जो बाजार के सामने इमाम खुमैनी स्ट्रीट पर स्थित है।

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भारतीय वास्तुकला से प्रेरित है।

हिंदू देवता भगवान विष्णु की मंदिर मंदिर का भवन मुख्यतः एक केन्द्रीय वर्गाकार कक्ष है जिसके ऊपर एक गुम्बद है। इस स्मारक का डिज़ाइन पूरी तरह से भारतीय वास्तुकला से प्रेरित है।

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मुख्य भवन के गुंबद पर 72 बुर्ज हैं

बंदर अब्बास में भारतीयों के मंदिर की शानदार वास्तुकला शैली और इस मंदिर के निर्माण के लिए उपयोग की गई सामग्री इसे ईरान की अन्य इमारतों से अलग बनाती है। मुख्य भवन के गुंबद पर 72 बुर्ज हैं, जो इसे भारतीय वास्तुकला के करीब बनाते हैं।

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ईरान के सबसे खूबसूरत गुंबदों में से एक

इस मंदिर का गुंबद ईरान के सबसे खूबसूरत गुंबदों में से एक है। इस मंदिर के अंदर और इसका आंतरिक भाग भी बेहद खूबसूरत और शानदार है। इसका मुख्य कमरा चतुर्भुज आकार का है और इसमें सुंदर फ्रेम लगे हैं।

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मंदिर के चारों ओर 4 गलियारे हैं

मंदिर के चारों ओर 4 गलियारे हैं। अपरिभाषित अतीत में, भारतीय इन गलियारों से प्रार्थना करने के लिए यहां आते थे।

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ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने तेहरान की यात्रा की

ईरान में हिंदू मंदिर को 19वीं सदी के अंत तक भारतीय व्यापारियों द्वारा वित्त पोषित किया गया था। इसके बाद साल 1976 में आखिरी बार ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने तेहरान की यात्रा की थी।

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