
कोलंबो। आईएमएफ (International Monetary Fund) ने रविवार को कहा है कि वह श्रीलंका की स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है। उसे उम्मीद है कि जल्द ही राजनीतिक संकट खत्म होगा, जिसके बाद बेलआउट डील पर बातचीत शुरू होगी।आईएमएफ ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के साथ नीति-स्तरीय वार्ता का एक दौर समाप्त कर लिया है। विक्रमसिंघे वित्त मंत्री भी हैं। कुछ वित्तीय मुद्दों का हल किया जाना था। जुलाई या अगस्त में अंतरिम बजट भी आने वाला था।
श्रीलंका के लिए आईएमएफ के वरिष्ठ मिशन प्रमुख पीटर ब्रेउर और मिशन प्रमुख मासाहिरो नोजाकी ने कहा कि हम श्रीलंका में चल रहे घटनाक्रम की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। हम मौजूदा संकट के हल की उम्मीद करते हैं। इसके बाद आईएमएफ समर्थित कार्यक्रम पर हमारी बातचीत फिर से शुरू होगी। हम वित्त मंत्रालय और सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका में अपने समकक्षों के साथ तकनीकी चर्चा जारी रखने की योजना बना रहे हैं।
श्रीलंका को चाहिए 4 बिलियन डॉलर
बता दें कि श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है। श्रीलंका को विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से हुई कमी से निपटने के लिए कम से कम 4 बिलियन डॉलर प्राप्त करने की आवश्यकता है। विदेशी मुद्रा खत्म होने से श्रीलंका पेट्रोल-डीजल, खाना और दवा जैसे जरूरी सामान भी दूसरे देशों से आयात नहीं कर पा रहा है। इसके चलते श्रीलंका में जरूरी सामान नहीं मिल रहे है, इससे लोगों का गुस्सा भड़क गया है।
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श्रीलंका में हजारों सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स तोड़ने के बाद शनिवार को केंद्रीय कोलंबो के उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में घुस गए थे। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया था। प्रदर्शनकारी आर्थिक संकट के लिए राष्ट्रपति को जिम्मेदार बता रहे हैं और उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के इस्तीफे की पेशकश के बाद भी प्रदर्शनकारियों ने उनके निजी आवास में आग लगा दी। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कहा है कि वह 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे।
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