पाकिस्तान को 3 बिलियन डॉलर कर्ज देने के बाद IMF (International Monetary Fund) को डर सता रहा है कि पाकिस्तान फिर अपने वादे पूरे नहीं करेगा। IMF ने पाकिस्तान के खराब ट्रैक रिकॉर्ड को लेकर चिंता जताई है।
इस्लामाबाद। IMF (International Monetary Fund) ने कंगाली की स्थिति का सामना कर रहे पाकिस्तान को तीन बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज दिया है। इसके साथ ही IMF को इस बात का भी डर सता रहा है कि ये पैसे डूब सकते हैं। IMF ने कहा है कि पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड ठीक नहीं है।
पाकिस्तानी न्यूज पेपर एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार पाकिस्तान के लिए बेलआउट पैकेज की घोषणा के बाद IMF ने पिछले खराब रिकॉर्ड के बारे में अपनी चिंताओं से पाकिस्तान को अवगत कराया है। उसने पाकिस्तान से कहा है कि नए कार्यक्रम को पूरा करें ताकि विश्वास की कमी को कम किया जा सके।
IMF ने पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार को दिया कड़ा संदेश
IMF के कार्यकारी निदेशक बहादुर बिजानी ने पाकिस्तान सरकार को IMF का मैसेज दिया है। उन्होंने इसके लिए वित्त मंत्री इशाक डार से बातचीत की। स्टैंड-बाय अरेंजमेंट प्रोग्राम के तहत 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर कर्ज देने के बाद IMF ने पाकिस्तान के खराब ट्रैक रिकॉर्ड को लेकर चिंता जताई है।
IMF बोर्ड ने बहादुर बिजानी को पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के लिए कहा था। IMF ने कहा है कि पाकिस्तान को बताए गए सुधारों को लागू करना होगा। उसे IMF से किए गए सभी वादे पूरे करने होंगे। बिजानी ने इशाक डार को बताया कि पाकिस्तान को लेकर IMF की क्या चिंताएं हैं। इस बार पाकिस्तान से कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कर्ज के लिए IMF की MD से की थी बात
शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने IMF की MD क्रिस्टालिना जॉर्जीवा को फोन किया था। शहबाज ने कहा था कि पाकिस्तान इस बार सभी वादे पूरे करेगा और विश्वास की कमी को दूर करेगा। वहीं, जॉर्जीवा ने कहा था कि पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड ठीक नहीं रहा है। पिछली बार समझौते की शर्तों को पूरा नहीं किया गया था, इसके चलते भरोसे की कमी है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने 2019 में IMF के साथ 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर साइन किए थे। IMF कर्ज देने के साथ ही कड़ी शर्तें भी लगाता है। इसे कर्जदार देश को पूरा करना होता है। IMF की शर्तें इसलिए होती हैं कि कर्ज लेने वाले देश की अर्थव्यवस्था ठीक हो सके। पाकिस्तान कर्ज लेने को तैयार तो हो गया, लेकिन IMF के शर्तों को पूरा नहीं करने से पीछे हट गया, जिसके चलते तीन अरब डॉलर देने के बाद IMF ने आगे की किश्तें रोक दीं थी।
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