यूं सालभर जूझते हुए कोई अमेरिकी बनता है प्रेसिडेंट, कुछ ऐसी है अमेरिका के प्रेसिडेंशियल इलेक्शन की प्रक्रिया

डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से वाइस प्रेसिडेंट उम्मीदवार के रूप में कमला देवी हैरिस के आ जाने के बाद भारत में भी यूएस प्रेसिडेंशियल इलेक्शन टाकिंग पॉइंट बन चुका है। अमेरिका में हर चार साल पर प्रेसिडेंशियल चुनाव होते हैं। यह दुनिया में अपने तरह की अनूठी प्रक्रिया है जो काफी लंबे वक्त में पूरी होती है। शुरू से अंत तक की पूरी प्रक्रिया को देखें तो इसमें करीब एक साल का वक्त लग जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 3, 2020 7:44 AM IST / Updated: Nov 03 2020, 03:01 PM IST

नई दिल्ली. डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से वाइस प्रेसिडेंट उम्मीदवार के रूप में कमला देवी हैरिस के आ जाने के बाद भारत में भी यूएस प्रेसिडेंशियल इलेक्शन टाकिंग पॉइंट बन चुका है। अमेरिका में हर चार साल पर प्रेसिडेंशियल चुनाव होते हैं। यह दुनिया में अपने तरह की अनूठी प्रक्रिया है जो काफी लंबे वक्त में पूरी होती है। शुरू से अंत तक की पूरी प्रक्रिया को देखें तो इसमें करीब एक साल का वक्त लग जाता है। 

साल के शुरुआत से ही प्रेसिडेंशियल चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अगले साल जनवरी में नए प्रेसिडेंट के पदभार ग्रहण के साथ यह खत्म होगी। अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प का कार्यकाल जनवरी में खत्म हो रहा है, उससे पहले ही नए प्रेसिडेंट के चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। आमतौर पर लोगों को लगता है कि अमेरिका की जनता सीधे तौर पर वोट देकर प्रेसिडेंट चुनती है। लेकिन ऐसा नहीं है। अमेरिका में कौन प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ सकता है, ये होता कैसे है, इसकी प्रक्रिया क्या है, अलग-अलग प्रक्रियाओं में किया क्या जाता हैं ऐसी तमाम जानकारियां हम आपके साथ साझा कर रहे हैं। 

Latest Videos

 


जो भी अमेरिकी नागरिक हैं भले ही उनका जन्म विदेश में हुआ हो प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ सकते हैं। चुनाव लड़ने की मिनिमम एज 35 साल है। चुनाव लड़ने जा रहे किसी भी उम्मीदवार का अमेरिका में 14 साल से रहना जरूरी है।  

 

 

#स्टेप 1: प्राइमरी और कॉकस
अमेरिका में कोई सीधे प्रेसिडेंट का चुनाव नहीं लड़ सकता। बल्कि उसे जटिल प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है। सबसे पहले उसे प्राइमरी और कॉकस से गुजरना पड़ता है। प्रेसिडेंट के लिए ऊपर बताई गई शर्तों को पूरा करने वाला चुनाव का इच्छुक व्यक्ति अपना एजेंडा लोगों के बीच रखता है। एक तरह से ये दावेदारी पेश करना है। एक ही पार्टी में कई लोग दावेदारी पेश कर सकते हैं। प्राइमरी प्रक्रिया में वोट और कॉकस में विचार-विमर्श और वोटिंग की जाती है। इसे ऐसे भी समझें कि ये प्रक्रियाएं एक तरह से पार्टी के अंदर की है। अलग-अलग राज्यों से सिर्फ रजिस्टर्ड लोग वोट डालते हैं और पार्टी को बताते हैं कि उनकी पसंद का सही उम्मीदवार कौन है। कॉकस की प्रक्रिया अमेरिका के सिर्फ 10 राज्यों में और बाकी 41 राज्यों में प्राइमरी प्रक्रिया अपनाई जाती है। 

वैसे अमेरिकी चुनाव में मुख्य मुक़ाबला हमेशा से ही रिपब्लिकन और डेमोक्रेट उम्मीदवारों के बीच रहा है। इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि वहां सिर्फ दो दल ही प्रेसिडेंशियल चुनाव प्रक्रिया में शामिल होते हैं। इन दो पार्टियों के अलावा ग्रीन पार्टी और लिबरेरियन पार्टी जैसे दल भी हिस्सा लेते हैं। हालांकि दबदबा हमेशा से रिपब्लिकन और डेमोक्रेट का ही रहा है। 

 

#स्टेप 2 : नेशनल कन्वेंशन
जो दल प्रेसिडेंशियल चुनाव में हिस्सा ले रहे होते हैं वो नेशनल कन्वेंशन करते हैं। ये कन्वेंशन अंतिम रूप से प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट का नाम फाइनल करने के लिए होता है। इस साल रिपब्लिकन से ट्रम्प और डेमोक्रेट ने जो बाइडन को उम्मीदवार चुना है। प्रेसिडेंशियल उम्मीदवार ही अपनी-अपनी पार्टी के वाइस प्रेसिडेंट कैंडिडेट को चुनता है। डेमोक्रेट जो बाइडन ने कमला देवी को चुना है। ट्रम्प ने माइक पेन्स को चुना है। उम्मीदवार तय होने के बाद कैंडिडेट आम लोगों के बीच कैम्पेन शुरू करते हैं। आमतौर पर जुलाई अगस्त तक ये प्रक्रिया खत्म हो जाती है। फिलहाल प्रेसिडेंशियल चुनाव इसी फेज में है।

 

#स्टेप 3: जनरल इलेक्शन 
पार्टियों का कन्वेंशन खत्म होने के बाद प्रेसिडेंशियल डिबेट होते हैं जो इस बार 29 सितंबर, 15 अक्तूबर और 22 अक्तूबर को होंगे। इस दौरान प्रमुख उम्मीदवार मुद्दों पर प्रतिद्वंद्वी से बहस करते हैं। इसी तरह वाइस प्रेसिडेंशियल डिबेट भी होता है जो इस साल 7 अक्तूबर को है। प्रेसिडेंशियल डिबेट की प्रक्रिया खत्म होने के बाद चुनाव का दिन आता है। इस साल 3 नवंबर को "इलेक्शन डे" है। यानी चुनाव का वो दिन जिसमें आम अमेरिकी वोटर हिस्सा लेता हैं। एक तरह से वोटर प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट के लिए सीधे वोट न देकर एक 'इलेक्टर' को वोट देते हैं जो प्रतिनिधि के रूप में अमेरिकी सदन में पहुंचते हैं। 

#स्टेप 4: इलेक्टोरल कोलाज 
जनता से चुने यही इलेक्टर्स, सीनेटर्स और कोलम्बिया के प्रतिनिधि मिलकर अमेरिकी सदन में पसंद के प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट का चुनाव करते हैं। यहां आधे से ज्यादा यानी 538 में से 270 वोट पाने वाला उम्मीदवार जीत जाता है। यह प्रक्रिया दिसंबर महीने में पूरी होती है। ठीक उसी तरह जैसे भारत में लोकसभा में बहुमत रखने वाला दल या गठबंधन के सांसद मिलकर प्रधानमंत्री का चुनाव करते हैं। 20 जनवरी तक अमेरिका में नया प्रेसिडेंट पदभार ग्रहण कर लेता है। हकीकत में देखा जाए तो अमेरिका में प्रेसिडेंट चुनने से पहले कोलम्बिया को मिलाकर 51 चुनाव होते हैं। 

#ये 11 किसी को भी बना सकते हैं प्रेसिडेंट 
अमेरिका के चुनाव में 11 स्टेट की महत्वपूर्ण भूमिका है। ये हैं- कैलिफोर्निया, टेक्सस, न्यूयॉर्क, फ्लॉरिडा, इलिनोइस, पेंसिलेनिया, ओहियो, मिशिगन, जॉर्जिया, नॉर्थ कैरोलिना और न्यू जर्सी। यहां से 271 प्रतिनिधि आते हैं। यानी अमेरिका के 51 में से 40 राज्यों में हारने वाला उम्मीदवार इन 11 जगहों पर भी जीतकर प्रेसिडेंट बन सकता है। यही वजह है इन 11 जगहों पर सबसे टफ कैम्पेन चलता है। 

अमेरिका चुनाव से जुड़ी रोचक खबरें यहां पढ़ें

अमेरिका चुनाव में किस स्टेट की है सबसे अहम भूमिका, कौन लड़ सकता है राष्ट्रपति चुनाव

मां हिंदू ब्राह्मण, पिता ब्लैक ईसाई, ऐसी है उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस के पैरेंट्स की लवस्टोरी

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए मतदान आज, जानिए कब और कैसे होता है चुनाव, इस बार कौन से मुद्दे रहें हावी

अमेरिका में 150 साल से मंगलवार को ही क्यों हो रहा मतदान?

यूं सालभर जूझते हुए कोई अमेरिकी बनता है प्रेसिडेंट, कुछ ऐसी है अमेरिका के प्रेसिडेंशियल इलेक्शन की प्रकिया

Share this article
click me!

Latest Videos

दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए क्यों लेते हैं ‘सेक्स वर्कर्स’ के आंगन की मिट्टी । Durga Puja । Navratri
मुजफ्फरनगर में क्यों भिड़ गए योगी के 2 मंत्री, जमकर हुई तू-तू, मैं-मैं । Anil Kumar । Kapil Dev
अमेरिका ने लौटाया भारत का 'खजाना', 297 नायाब चीजों के साथ वापस लौटेंगे PM Modi । India America
Tirupati Laddu Prasad: गिरिराज सिंह ने की सबसे बड़ी मांग, ओवैसी और राहुल को जमकर सुना डाला
Odisha Case: Rahul Gandhi ने Army अधिकारी की मंगेतर से थाने में बर्बरता पर साधा निशाना