भारत ने आतंकी संगठनों से निपटने के लिए यूएन और एफएटीएफ से मांगा सहयोग

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन की प्रथम सचिव पालोमी त्रिपाठी ने सामाजिक, मानवीय मामलों और मानवाधिकार के मुद्दों पर काम करने वाली महासभा की तीसरी समिति को संबोधित करते हुए कहा कि सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों को कमजोर बनाने और अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को खतरा पहुंचाने की अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध की कोशिश जारी हैं।

Asianet News Hindi | Published : Oct 5, 2019 12:06 PM IST

संयुक्त राष्ट्र (United Nations). भारत ने आतंकी संगठनों और अंतरराष्ट्रीय संगठित आपराधिक नेटवर्कों के बीच की साठ-गांठ से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र और वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) जैसे संगठनों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया है। ये संगठित आपराधिक समूह आतंकी संगठनों को सीमापार होने वाली आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय मदद देते हैं।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन की प्रथम सचिव पालोमी त्रिपाठी ने सामाजिक, मानवीय मामलों और मानवाधिकार के मुद्दों पर काम करने वाली महासभा की तीसरी समिति को संबोधित करते हुए कहा कि सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों को कमजोर बनाने और अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को खतरा पहुंचाने की अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध की कोशिश जारी हैं।

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आतंकी संगठन मिटाते जा रहे हैं अपराध और आतंक के बीच का अंतर 
त्रिपाठी ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय संगठित आपराधिक नेटवर्क आतंकवादी संगठनों को अवैध गतिविधियों को बढ़ाने के लिए धन मुहैया करा रहे हैं। ये संगठन आतंकवादियों के साथ मिलकर सीमा पार जालसाजी, हथियार तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवादियों को सीमा पार पहुंचाने जैसे आपराधिक कामों को अंजाम दे रहे हैं। आईएसआईएस, अल शबाब, बोको हराम जैसे आतंकी समूह जबरन वसूली, मानव तस्करी, अवैध व्यापार आदि कर के अपराध और आतंक के बीच के अंतर को मिटाते जा रहे हैं।" उन्होंने समिति के सत्र में कहा कि हमें इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि नशीली दवाओं का प्रयोग करके ये युवाओं को आतंक से जोड़ रहे हैं। त्रिपाठी ने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र और वित्तीय कार्रवाई कार्यबल जैसे निकायों को आपसी सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है जिससे हम इस आतंकी फाइनेंसिंग की समस्या से निपट सकें।

 

[यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है]

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