भारत-चीन विवाद: दोनों देश सैन्य-राजनायिक स्तर पर बातचीत रखेंगे जारी, सेना ने कहा- सकारात्मक रही चर्चा

पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के खत्म करने के लिए भारत ने सोमवार को चीन के साथ सातवें दौर की सैन्य वार्ता की।  दोनों देश एक-दूसरे से सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखने के लिए सहमत हुए हैं। प्रवक्ता ने बताया कि दोनों पक्षों की ओर से चर्चाएं सकारात्मक रहीं हैं।

Asianet News Hindi | Published : Oct 13, 2020 12:43 PM IST / Updated: Oct 13 2020, 06:22 PM IST

नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के खत्म करने के लिए भारत ने सोमवार को चीन के साथ सातवें दौर की सैन्य वार्ता की। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सेना के प्रवक्ता ने मंगलवार को बताया कि इस वार्ता में बीजिंग से अप्रैल पूर्व की यथास्थिति बहाल करने और विवाद के सभी बिन्दुओं से चीनी सैनिकों की पूर्ण वापसी करने को कहा। इसके साथ ही दोनों देश एक-दूसरे से सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखने के लिए सहमत हुए हैं। प्रवक्ता ने बताया कि दोनों पक्षों की ओर से चर्चाएं सकारात्मक रहीं हैं।

सोमवार को पूर्वी लद्दाख में कोर कमांडर स्तर की वार्ता दोपहर लगभग 12 बजे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)पर चुशूल क्षेत्र में भारतीय इलाके में हुई और रात 9 बजे के बाद भी जारी रही। गौरतलब है कि भारत-चीन का सीमा विवाद छठे महीने में प्रवेश कर चुका है। विवाद का जल्द समाधान होने के आसार कम ही दिखते हैं क्योंकि भारत और चीन ने बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगभग एक लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं जो लंबे गतिरोध में डटे रहने की तैयारी है। यही नहीं दोनों देशों द्वारा वहा आए दिन युद्धक विमानों का प्रदर्शन भी किया जा रहा है।

लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने की प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई 

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और विदेश मंत्रालय में पूर्वी एशिया मामलों के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव ने किया। वार्ता में चीनी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी भी चीनी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे।

चीन अपने सैनिक वापस बुलाए

प्रवक्ता ने बताया कि वार्ता में भारत ने जोर देकर कहा कि चीन को विवाद के सभी बिन्दुओं से अपने सैनिकों को जल्द और पूरी तरह वापस बुलाना चाहिए तथा पूर्वी लद्दाख में सभी क्षेत्रों में अप्रैल से पूर्व की यथास्थिति बहाल होनी चाहिए। ये गतिरोध पांच मई को शुरू हुआ था।

वार्ता की तैयारी में शीर्ष नेतृत्व ने संभाला मोर्चा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों सहित चीन अध्ययन समूह (सीएसजी) ने सैन्य वार्ता के लिए शुक्रवार को भारत की रणनीति को अंतिम रूप दिया।

चीन की मांग पर भारतीय सैनिक नहीं हटेंगे पीछे

सीएसजी चीन के बारे में भारत की महत्वपूर्ण नीति निर्धारक इकाई है। सातवें दौर की सैन्य वार्ता शुरू होने से पहले सूत्रों ने कहा था कि भारत पैंगोंग नदी के दक्षिणी किनारे कई रणनीतिक ऊंचाइयों से भारतीय सैनिकों की वापसी की चीन की मांग का मजबूती से विरोध करेगा।
 

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