भारत के यूरिया से श्रीलंका में लहलहाएगी फसल, दूर होगी आर्थिक संकट झेल रहे पड़ोसी की खाद्य समस्या

Published : Aug 22, 2022, 04:50 PM IST
भारत के यूरिया से श्रीलंका में लहलहाएगी फसल, दूर होगी आर्थिक संकट झेल रहे पड़ोसी की खाद्य समस्या

सार

भारत ने आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका को सोमवार को 21 हजार टन यूरिया दिया। इससे पहले श्रीलंका को 44 हजार टन उर्वरक दिया गया था। भारत से मिले उर्वरक से श्रीलंका में आने वाले दिनों में फसलों की अच्छी पैदावार होगी और खाद्य संकट का समाधान होगा। 

कोलंबो। श्रीलंका के खेतों में भारत के यूरिया से फसल लहलहाएगी। आर्थिक संकट झेल रहे पड़ोसी देश को भोजन की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। चावल और अन्य खाद्य पदार्थों की कमी है। इनकी कीमत आसमान छू रही है, जिससे आम लोगों को जीना दूभर हो गया है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए भारत ने श्रीलंका को 21 हजार टन यूरिया दिया है। भारत से मिले उर्वरक से श्रीलंका में आने वाले दिनों में फसलों की अच्छी पैदावार होगी और खाद्य संकट का समाधान होगा। 

भारत ने सोमवार को श्रीलंका को 21 हजार टन यूरिया सौंपा। भारत ने यह मदद स्पेशल सपोर्ट प्रोग्राम के तहत किया है। हाल के महीने में भारत की यह ऐसी दूसरी मदद है। भारतीय उच्चायोग ट्वीट कर बताया कि उच्चायुक्त गोपाल बागले ने औपचारिक रूप से श्रीलंका को 21,000 टन उर्वरक की आपूर्ति की है। यह आपूर्ति  श्रीलंका के लोगों को भारत के विशेष समर्थन के तहत की गई है। पिछले महीने भारत ने श्रीलंका को 44 हजार टन उर्वरक दिया था। उच्चायोग ने बताया कि उर्वरक से श्रीलंका की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही श्रीलंका के किसानों को भी इससे लाभ होगा। 

 

 

 

राजपक्षे के फैसले से पैदा हुआ था खाद्य संकट
गौरतलब है कि मई में भारत ने श्रीलंका को आश्वासन दिया था कि वह 65 हजार मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराएगा ताकि खेती के वर्तमान याला सीजन के दौरान कोई परेशानी नहीं हो। याला श्रीलंका में चावल की खेती का सीजन है। यह मई से अगस्त तक चलता है। 

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श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने पिछले साल रासायनिक उर्वरकों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने यह फैसला देश में ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए किया था, लेकिन बिना किसी तैयारी के लिए गए इस फैसले से फसलों का उत्पादन बहुत अधिक घट गया था। एक अनुमान के अनुसार फसलों के उत्पादन में 50 फीसदी की कमी आई थी, जिससे चलते देश में खाद्य संकट पैदा हो गया। बाद में राजपक्षे ने इस बात को स्वीकार किया था कि रासायनिक उर्वरकों पर 100 फीसदी बैन लगाना गलत फैसला था।

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