विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कश्मीर मुद्दा पर भारत-पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस मामले की बातचीत द्वीपक्षीय होगी।
वाशिंगटन(Washington). विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कश्मीर मुद्दा पर भारत-पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस मामले की बातचीत द्वीपक्षीय होगी।
जयशंकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक महासभा सत्र में भाग लेने के बाद रविवार रात न्यूयार्क से यहां पहुंचे। संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के इतर प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने विश्व के दर्जनों नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं।
ट्रम्प की मौजुदगी भी स्वीकार नहीं
ट्रम्प ने कश्मीर मामले पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की हाल ही में पेशकश की थी। डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, ‘‘ भारत का रूख करीब 40 साल से इस बात को लेकर स्पष्ट है कि हम मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे और जो कुछ भी बातचीत होनी है, वह द्विपक्षीय होगी।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘जहां तक मेरा सवाल है, मेरे दिमाग में बात एकदम स्पष्ट है। मेरा तर्क बहुत सरल है। (यह) किसका मामला है? मेरा। किसे फैसला करना है? मुझे। यदि यह मेरा मामला है और मुझे फैसला करना है, तो मैं तय करूंगा कि मुझे किसी की मध्यस्थता चाहिए या नहीं। आप अपनी पसंद से कोई भी प्रस्ताव रख सकते हैं लेकिन यदि मैं फैसला करता हूं कि यह मेरे लिए प्रासंगिक नहीं है तो ऐसा नहीं होगा।’’
संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के इतर आधी बैठकों में जम्मू-कश्मीर का मामला उठा
उन्होंने कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 के संदर्भ में, मेरे लिए संख्या बताना मुश्किल होगा, लेकिन मैं कहूंगा कि मेरी करीब आधी बैठकों में इस मामले पर बात हुई और शायद मेरी आधी बैठकों में इस पर बात नहीं हुई। ऐसा नहीं था कि मुझसे बात करने वाले हर व्यक्ति ने इसी ज्वलंत प्रश्न पर बात की।’’ उन्होंने कहा कि सच कहूं, तो इनमें से अधिकतर बैठकों में द्विपक्षीय संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह मामला जिन लोगों ने उठाया, उनके लिए यह प्राथमिक रुचि का विषय नहीं था।
[यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है]