ईरान और इजरायल कभी एक जमाने में बहुत ही अच्छे दोस्त हुआ करते थे। हालांकि, मौजूदा हालत को देखकर ऐसा विश्वास करना मुश्किल लगता है, लेकिन हकीकत यह है।
ईरान-इजरायल के रिश्ते। ईरान और इजरायल कभी एक जमाने में बहुत ही अच्छे दोस्त हुआ करते थे। हालांकि, मौजूदा हालत को देखकर ऐसा विश्वास करना मुश्किल लगता है, लेकिन हकीकत यह है। दोनों देशों की कहानी शुरू होती है साल 1948 से जब यहूदियों ने इजरायल नाम का एक देश खुद के लिए बनाया। उस वक्त दुनिया के मात्र दो मुस्लिम देशों ने इजरायल को देश की मान्यता दी थी। उनमें से एक तुर्की और दूसरा ईरान था। साल 1948 में तेल अवीव शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी के अधीन सहयोगी बन गए। उस समय ईरान मध्य पूर्व में सबसे बड़े यहूदी समुदाय का घर था।
नए यहूदी राज्य ने हथियारों, प्रौद्योगिकी और कृषि उपज के बदले में अपना 40 प्रतिशत तेल ईरान से आयात किया। इजरायल की मोसाद जासूसी एजेंसी ने शाह की गुप्त पुलिस को ट्रेनिंग देने में मदद की। हालांकि बाद में ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति ने मोहम्मद रज़ा पहलवी को राजगद्दी से हटा दिया। इसके बाद दोनों देशों की मित्रता में खटास आ गई। इजरायल इल ने नये इस्लामी गणतंत्र को मान्यता नहीं दी।अयातुल्ला इजरायल को यरूशलेम पर अवैध कब्जा करने वाला मानते थे। हालांकि, अनौपचारिक वाणिज्यिक संबंध पहले की तुलना में बने रहे।
ईरान और इजरायल के रिश्ते समय के साथ बिगड़े
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