
Diego Garcia: शुक्रवार, 13 जून को इजराइल ने ईरान में अटैक कर दिया, जिससे दुनियाभर में हलचल है। इसके बाद सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या इस ऑपरेशन के पीछे अमेरिका भी है? अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने इससे साफ इनकार किया है। उनका कहना है कि 'यह इजराइल का अपना एक्शन है। हमारा देश इसमें शामिल नहीं है। ईरान जवाबी कार्रवाई करने से बचे और अमेरिकी सोल्जर्स को निशाना न बनाए।' हालांकि, कुछ विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि इजराइल इतना बड़ा हमला बिना अमेरिकी मदद के नहीं कर सकता है। मिडिल ईस्ट में चल रहे इस टेंशन के बीच अमेरिकी रणनीतिक मिलिट्री बेस डिएगो गार्सिया (Diego Garcia) चर्चा में है, जिसे लेकर कहा जाता है कि यहीं से यूएस पूरी दुनिया और खासकर मिडिल-ईस्ट को कंट्रोल करता है। आइए जानते हैं कहां है ये सीक्रेट अड्डा?
पिछले कुछ दिनों से ईरान पर हमला होने की आशंकाएं थी। इस अटैक से पहले ही अमेरिका (America) मिडिल-ईस्ट के देशों से अपनी सेना हटाने लगा था। 12 जून को मिडिल-ईस्ट से कुछ अमेरिकी नागरिकों और अधिकारियों को भी निकाला गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को बताया कि अमेरिका इसलिए अपने सैनिक हटा रहा है, क्योंकि मिडिल-ईस्ट के हालात बेहद खतरनाक हो सकते हैं। अमेरिका के एक पत्रकार सेलिना वांग के सवाल के जवाब में कि क्या इजराइल, ईरान पर अटैक करने वाला है, ट्रंप ने कहा, 'ईरान के पास परमाणु हथियार (Nuclear Weapons) नहीं हो सकते। मैं नहीं कहना चाहता कि अटैक तुरंत होगा, लेकिन कभी भी हो सकता है।' इसके कुछ घंटे बाद ही 13 जून को इजराइल ने ईरान के 6 ठिकानों पर अटैक किया। इनमें से चार पर ईरान के न्यूक्लियर प्लांट्स हैं।
29 मार्च को अमेरिका ने अपने सबसे खतरनाक बम बरसाने वाले विमान B-2 स्पिरिट बॉम्बर की 30% फ्लीट द्वीप डिएगो गार्सिया में तैनात की, जो कि हिंद महासागर (Indian Ocean) में एक छोटा सा द्वीप है। इसी साल 29 मार्च को अमेरिकी 'प्लैनेट लैब्स' ने इसकी कुछ सैटेलाइट इमेज जारी की। जिनमें UK के अधिकार वाले इलाके डिएगो गार्सिया में 4 B-52 बॉम्बर प्लेन तैनात किए गए दिखाए गए। डिएगो गार्सिया अमेरिकी एयरबेस है, जो ईरान की राजधानी तेहरान (Tehran) से केवल 5,267 किलोमीटर ही दूर है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और एक्सपर्ट्स के अनुसार, ये छोटा सा द्वीप हिंद महासागर के बीचो-बीच बसा है, लेकिन इसका महत्व इतना बड़ा है कि यहां से अमेरिका ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और खाड़ी देशों की जियोपॉलिटिक्स को सीधे कंट्रोल करता है। इस बेस पर हाईटेक B-2 बमवर्षक, C-17 ग्लोबमास्टर और KC-135 जैसे फ्यूल टैंकर्स हर वक्त तैयार रहते हैं।
यहां आम नागरिकों की एंट्री बैन है। किसी भी सैटेलाइट से भी इस द्वीप की सीधी फोटो मिलना मुश्किल है। कहा जाता है कि यहां न्यूक्लियर बम तक स्टोर हैं और अमेरिका के 'बंकर बस्टर' मिसाइल यहीं से लॉन्च होते हैं। यहां से अमेरिका दुनिया की राजनीति का रिमोट कंट्रोल भी चलाता है। यह वो सीक्रेट बेस है, जिसे अमेरिका ने एक 'वॉर हैडक्वार्टर' बना रखा है।
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां तैनात बमवर्षक 13,000 किलोमीटर तक मार कर सकते हैं, यानी ये पूरा मिडिल ईस्ट कवर करता है। ईरान की लंबी दूरी की मिसाइलें इस द्वीप को सीधे नहीं मार सकतीं, इसलिए अमेरिका इसे 'नो-रिस्क ऑपरेशन जोन' मानता है।
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