ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी हमेशा काली पगड़ी क्यों बांधते? अमेरिका लगा चुका है रईसी पर प्रतिबंध

ईरान के कट्टरपंथी विचारों वाले इब्राहिम रईसी हुए राष्ट्रपति चुनावों में जीत हासिल कर ली है। रईसी ईरान के 13वें राष्ट्रपति होंगे। 62 फीसदी वोटों के साथ उन्होंने जीत दर्ज की है। माना जा रहा है कि अगस्त में वह शपथ लेंगे। वह निवर्तमान राष्ट्रपति हसन रुहानी की जगह लेंगे। रईसी इस समय न्यायपालिका के प्रमुख हैं। 

तेहरान। ईरान में राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख रहे कट्टरपंथी नेता मौलवी इब्राहिम रईसी ने 62 प्रतिशत वोट के साथ चुनाव जीत लिया है। अगस्त में वह 13वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। रईसी ईरान के सुप्रीम लीडर की भी पसंद माने जा रहे हैं। 

जनता परेशान है भ्रष्टाचार से, मौलवी रईसी पर भरोसा

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दरअसल, ईरान में फैले भ्रष्टाचार से जनता निजात पाना चाहती है। ईरान अपनी आर्थिक समस्याओं से भी जूझ रहा है। ईरान की न्यायपालिका प्रमुख रहे इब्राहिम रईसी ने जनता को देश में फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने और आर्थिक ढांचे को मजबूत करने का वादा किया है। कट्टरपंथी विचारधारा वाले रईसी पर जनता को भरोसा है कि वह कुछ कर सकते हैं। हालांकि, तमाम मानवाधिकार संगठनों और अन्य लोगों ने बेहद कट्टरपंथी नेता के राष्ट्रपति चुने जाने पर चिंता भी जताई है। 

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क्यों पहनते हैं काली पगड़ी 

ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की काली पगड़ी उनका स्टाइल स्टेटमेंट है। वह हमेशा ही काली पगड़ी में दिखते हैं। दरअसल, काली पगड़ी प्रतीक है कि वह सैयद मुसलमान हैं और आखिरी पैगंबर मोहम्मद के वंशज हैं। 

राजनीतिक कैदियों को सामूहिक मृत्युदंड का फैसला

हुज्जत-उल-इस्लाम सैय्यद इब्राहीम रईसी का जन्म उत्तर पूर्वी ईरान के मशहद में 14 दिसंबर 1960 में हुआ था। 1979 की क्रांति के बाद रईसी ज्यूडिशियल सर्विस में आए थे। साल 1988 में राजनीतिक कैदियों और असंतुष्ट नेताओं के सामूहिक मृत्युदंड के फैसला सुनाने वाले विशेष आयोग का वह हिस्सा रहे थे। वह कट्टरपंथी नेता माने जाते हैं। 2016 में उनको सबसे समृद्ध माने जाने वाले मशहाद शहर में मौजूद आठवें शिया इमाम अली रजा की पवित्र दरगाह आस्तान-ए-कुद्स के संरक्षक भी रह चुके हैं। 

सुप्रीम लीडर के उत्तराधिकारी बन सकते हैं रईसी

नए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी वर्तमान सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामनेई की पसंद है। माना जा रहा है कि आयतुल्लाह अली खामनेई अपना उत्तराधिकारी रईसी को बना सकते हैं। खामनेई अभी 82 साल के हो चुके हैं और अपना उत्तराधिकारी बनाना उनकी पहली प्राथमिकता है।  

क्या होता है सुप्रीम लीडर?

साल 1978-79 में ईरान में पहलवी वंश के मोहम्मद रेजा शाह पहलवी के शासन के खिलाफ इस्लामी इंकलाब शुरू हुआ। इस आंदोलन में धार्मिक लोगों के अतिरिक्त व्यापारी, धनी वर्ग, बुद्धिजीवी आदि शामिल हुए। पहलवी शासन के खात्मे के बाद इस्लामिक गणराज्य की स्थापना ईरान में हुई। यह आंदोलन आयतुल्लाह खोमैनी के नेतृत्व में हुआ। इस्लामिक गणराज्य में उनको रहबर-ए-आला यानी सुप्रीम लीडर बनाया गया। सुप्रीम लीडर को देश का सबसे बड़ा धार्मिक और राजनीतिक पद माना जाता है। वह सेना का भी कमांडर इन चीफ होता है। 
आयतुल्लाह खुमैनी 1989 तक देश के सुप्रीम लीडर बने रहे। खुमैनी के दो बेटे थे मुस्तफा खामनेई और अहमद खामनेई। अहमद खामनेई के बेटे आयतुल्लाह अली खोमनेई को 1989 में सुप्रीम लीडर बनाया गया। 

अमेरिका लगा चुका है रईसी पर प्रतिबंध

अमेरिका ने 2019 में रईसी समेत आठ लोगों पर प्रतिबंध लगाया था। अमेरिका का मानना था कि सभी लोग सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामनेई के बेहद करीबी हैं और मानवाधिकारों के उल्लंघन में शामिल हैं। 

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