
Iran-Israel War: ईरान-इजराइल युद्ध के बीच अमेरिका की एंट्री ने मिडिल-ईस्ट में जंग की चिंगारी को हवा दे दी है। भारतीय समयानुसार रविवार तड़के साढ़े 4 बजे अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर बंकर बस्टर बम से हमला किया। फोर्डो साइट के एंट्री गेट पर बम से हुए गड्ढे की सैटेलाइट तस्वीरें भी सामने आ गई हैं। हालांकि, ईरान दावा कर रहा है कि उसे कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा है। भले ही ईरान खुद को बड़बोला साबित करने में लगा है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब उसके पास बेहद सीमित विकल्प बचे हैं। आइए जानते हैं क्या?
ईरान के पास पहला ऑप्शन ये है कि वो अमेरिकी हमले का जवाब दे। ऐसा नहीं करने पर ईरान की जनता के सामने कहीं न कहीं सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई की कमजोरी उजागर हो जाएगी। यानी वर्तमान सत्ता के लिए अमेरिका का हमला ईरान के लिए नाक की लड़ाई बन चुका है।
ईरान के पास दूसरा विकल्प ये है कि वो अपने प्रॉक्सी हिजबुल्लाह, हूती और हमास के जरिये इजराइल पर हमले कराकर उसे चारों तरफ से घेरने की तैयारी करे। साथ ही यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर हमले करवाए। लेकिन ईरान के इन प्रॉक्सी संगठनों की इमेज पूरी दुनिया में आतंकवादी संगठनों के रूप में है। ऐसे में अगर ईरान ये कदम उठाता है, तो दुनियाभर में ये संदेश जाएगा कि वो खुद आतंकवाद फैला रहा है।
अमेरिकी हमले के बाद ईरान के सामने बड़ी मुश्किल आ गई है। उसके पास बेहद लिमिटेड ऑप्शन हैं। ईरान अगर मिलिट्री एक्शन बढ़ाता है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरी दुनिया से अलग-थलग पड़ सकता है। वहीं, अगर दुश्मन पर पलटवार नहीं करता है तो अपनी जनता का ही भरोसा खोने का डर है। ऐसे में माना जा रहा है कि दिखावे के लिए ही सही, ईरान अमेरिकी ठिकानों पर हमले कर सकता है।
ईरान के पास चौथा विकल्प ये बचता है कि वो दुनिया के सबसे बड़े तेल आयात मार्ग स्ट्रेट ऑफ होर्मूज को बंद कर दे। पूरी दुनिया को कच्चा तेल सप्लाई करने के नजरिये से ये बेहद ही क्रिटिकल कदम होगा। इससे भारत-चीन समेत एशिया के कई बड़े देशों की ऑयल सप्लाई पर असर पड़ेगा। ऐसे में तमाम देश तेल सप्लाई के लिए दूसरा ऑप्शन खोज सकते हैं।
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