इस मुस्लिम देश में 9 साल की लड़कियों की होगी शादी, पति जब चाहे बनाएगा संबंध

इराक में विवाह के लिए लड़कियों की उम्र कम करने के लिए नया कानून बनाने की कोशिश हो रही है। इसके अनुसार 9 साल की लड़की की शादी हो सकेगी। पति जब चाहे उसके साथ संबंध बना सकेगा।

Vivek Kumar | Published : Aug 9, 2024 6:03 AM IST / Updated: Aug 09 2024, 11:38 AM IST

वर्ल्ड डेस्क। मुस्लिम देश इराक में लड़कियों की शादी की उम्र सिर्फ 9 साल करने के लिए कानून में बदलाव (Iraq Marriage Bill) करने की कोशिश हो रही है। इसके लिए इराक के पर्सनल लॉ में संशोधन का प्रस्ताव लाया गया है। इससे नया विवाद खड़ा हो गया है।

यह संशोधन शिया इस्लामी समूहों द्वारा प्रस्तावित किया गया है। भारी विरोध के चलते इसके कानून बनने की संभावना कम है। इससे यह संकेत मिल रहे हैं कि इराक की राजनीति में धर्म की भूमिका किस कदर बढ़ रही है। नए प्रस्तावित कानून को Ja'afari Law कहा जा रहा है। शिया इस्लामी कानूनों के अनुसार इराक के निजी कानूनों, वसीयतों और उत्तराधिकार कानूनों में बदलाव लाने की कोशिश हो रही है।

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इराक में कानून बदलते हैं तो 9 साल की लड़की की हो सकेगी शादी

इराक के पर्सनल लॉ में संशोधन होता है तो यहां 9 साल की उम्र में लड़कियों की शादी हो सकेगी। इस उम्र की होने के बाद लड़कियों को युवा मान लिया जाएगा। शादी के बाद पति जब जाहे उसके साथ यौन संबंध बना सकेगा। लड़की के दो साल की होने के बाद पिता ही उसके एकमात्र संरक्षकता होंगे।

इराक में लड़कियों के विवाह की उम्र घटाने की कोशिश का विरोध हो रहा है। आलोचकों का तर्क है कि यह मसौदा चुनाव से पहले वोट पाने के लिए शिया इस्लामिस्ट पार्टियों की राजनीतिक चाल थी।

अभी इराक में 18 साल है शादी की न्यूनतम उम्र

इराक की संसद में शिया इस्लामवादी दलों द्वारा प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य 1959 के व्यक्तिगत स्थिति कानून के कानून 188 को बदलना था। इस समय इराक में लड़का और लड़की दोनों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 साल है। कोर्ट और अभिभावक की मंजूरी हो तो 15 साल की उम्र में भी विवाह हो सकता है।

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आलोचकों का तर्क है कि प्रस्तावित संशोधन से महिलाओं के अधिकारों को नुकसान पहुंच सकता है। इराक के पितृसत्तात्मक समाज में कम उम्र में विवाह के मामले बढ़ सकते हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच की शोधकर्ता सारा सनबर ने चेतावनी दी है कि इस विधेयक को पारित करना देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में कानून के एसोसिएट प्रोफेसर हैदर अला हामुदी ने कहा कि यह मसौदा "पूरी तरह से बेशर्म राजनीतिक स्टंट है।

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