Israel Hamas War: 106 साल पुराने 67 शब्दों के लेटर में ऐसा क्या था? जिसकी गूंज रॉकेट-मिसाइलों के रूप में आज सुन रही दुनिया

इजराइल और फिलीस्तीन के संघर्ष की जड़ें सदियों पुरानी हैं। इस आग में अब तक हजारों की जानें जा चुकी हैं, जबकि लाखों लोगों को अपना घर-परिवार छोड़कर विस्थापित होना पड़ा है।

 

What is Israel-Palestine Conflict. इजराइल और फिलीस्तीन के बीच जारी संघर्ष की जड़ें एक सदी से भी ज्यादा पुरानी हैं। यह कॉलोनियल टाइम का विवाद है, जिसमें अब हजारों मौतें और लाखों लोगों का पलायन हो चुका है। ताजा विवाद में भी करीब 2000 लोगों की मौतें हो चुकी हैं, जबकि 5 से 10 हजार लोग इस युद्ध से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

क्यों शुरू हुआ ताजा विवाद

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इजराइल और फिलीस्तनी के बीच बीते शनिवार को रॉकेट हमलों के बाद युद्ध के हालात बना गए। फिलीस्तीनी आतंकी संगठन हमास ने इजराइल के दक्षिणी शहर पर 5000 रॉकेट दागकर 900 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया। वहीं इजराइल की जवाबी कार्रवाई में 1500 से ज्यादा फिलीस्तीनियों की जान चली गई। यह युद्ध कब तक चलता रहेगा, इसका भी दावा नहीं किया जा सकता है। पूरी दुनिया इस युद्ध की वजह से दो खेमों में बंटी दिख रही है।

बाल्फोर घोषणा क्या थी?

यह घटना अब से 100 साल पहले यानि 2 नवंबर 1917 की है। ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश सचिव आर्थर बाल्फोर ने ब्रिटिश यहूदी समुदाय के प्रमुख लियोनेल वाल्टर रोसचाइल्ड को एक लेटर लिखा। यह लेटर सिर्फ 67 शब्दों का था लेकिन इसमें जो लिखा था, वह फिलीस्तीन में भूकंप जैसी स्थिति लाने के लिए काफी था। उस भूकंप का कंपन आज तक महसूस किया जा रहा है।

बाल्फोर का 67 शब्दों का लेटर

बाल्फोर के लेटर में ब्रिटिश सरकार ने फिलिस्तीन में यहूदी लोगों के लिए अलग नेशनल होम बनाने का जिक्र किया था। इसे दुनिाय बाल्फोर घोषणा पत्र के नाम से जानती है। तब वहां फिलीस्तीन अरब मूल के 90 प्रतिशत से ज्यादा निवासी थे। 1923 में ब्रिटिश जनादेश लागू किया गया और 1948 तक चला। इस दौरान अंग्रेजों ने यहूदियों की कई तरह की सुविधाएं दीं। उस वक्त यूरोप में हिटलर के नाजीवाद से भी यहूदी प्रभावित थे, जो वहां आकर बसने लगे। इस जनसांख्यिकीय बदलाव ने फिलीस्तीनियों में चिंता पैदा कर दी।

1930 के दशक में बड़ा विद्रोह हुआ

बढ़ते तनाव के बाद 1930 के दशक में अरब विद्रोह हुआ जो 1936 से लेकर 1939 तक चला। 1936 में अरब राष्ट्रीय समिति बनी और इसने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ हड़तालें शुरू कर दीं। यहूदियों के सामानों का बहिष्कार किया जाने लगा। विरोध इतना बढ़ा कि ब्रिटेन ने फिलीस्तीन में 30,000 सैनिक तैनात कर दिए। गांवों पर बमबारी की गई, कर्फ्यू लगाया गया और कुल मिलाकर कहा जाए तो बड़ी संख्या में हत्याएं भी हुईं। बाद में ब्रिटने ने यहूदी समुदाय के लड़ाकों को इकट्ठा करके आतंकवाद विरोध बल बना दिया जिसे स्पेशल नाइट स्क्वाड नाम दिया गया। इसके बाद इजराइल का अस्तित्व में आना और फिलीस्तीन से संघर्ष का लंबा इतिहास है। इसी लड़ाई की उपज हमास भी है, जिसने इजराइल पर अब तक का सबसे घातक हमला किया।

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