कम खर्च में दुश्मन के हमले को नाकाम करेगा इजरायल का 'Iron Beam', जानें ताकत

इज़राइल ने 'आयरन बीम' नामक एक नया लेज़र-आधारित एयर डिफेंस सिस्टम विकसित किया है। यह सिस्टम आने वाले मिसाइलों, ड्रोन और रॉकेट को लेज़र बीम से गिराएगा, जिससे रक्षा खर्च में भी कमी आएगी।

Vivek Kumar | Published : Nov 2, 2024 4:37 AM IST / Updated: Nov 02 2024, 10:15 AM IST

वर्ल्ड डेस्क। इजरायल ने रॉकेट और मिसाइल हमले से खुद को बचाने के लिए नए जमाने का एयर डिफेंस सिस्टम बना लिया है। इसका नाम 'आयरन बीम' (Iron Beam) है। इसमें हमला करने आ रहे मिसाइल को बहुत अधिक ताकत वाले लेजर से गिराया जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार 1 साल के भीतर यह काम करना शुरू कर देगा।

इजरायली रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि लेजर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम और अन्य डिफेंस सिस्टम के साथ मिलकर काम करेगा। इससे "जंग के एक नए युग" की शुरुआत होगी। 'आयरन बीम' तैयार करने में 500 मिलियन डॉलर (4206 करोड़ रुपए) की लागत आई है। यह मिसाइल, ड्रोन, रॉकेट और मोर्टार को निशाना बनाकर उसे बेअसर कर देगा।

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आयरन बीम इस्तेमाल करने पर होगा कम खर्च

आयरन बीम को राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स और एल्बिट सिस्टम्स ने विकसित किया है। इसका लेजर बीम सैकड़ों मीटर से लेकर कई किलोमीटर दूर तक मार करता है। लेजर की रफ्तार प्रकाश की गति जितनी तेज है। इसमें हमला करने आ रहे मिसाइल या अन्य टारगेट को नष्ट करने में कम खर्च आता है।

लेजर के इस्तेमाल से एक और फायदा है कि इसके मैगजीन की क्षमता असीमित है। हमला करने आ रहे खतरे को मिसाइल से नष्ट करने वाले एयर डिफेंस सिस्टम में लॉन्च किए जाने वाले मिसाइल के खत्म होने का खतरा रहता है। ऐसा होने पर यह सिस्टम बाकी के हमलों को नहीं रोक पाता। आयरन बीम के साथ ऐसी परेशानी नहीं आएगी।

ड्रोन को भी मार गिराएगा आयरन बीम

इजराइल के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि आयरन बीम छोटे प्रोजेक्टाइल को मार गिराएगा। बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे बड़े टारगेट को एरो 2 और एरो 3 इंटरसेप्टर द्वारा निपटाया जाएगा। आयरन बीम हमला करने आ रहे ड्रोन, गोले, रॉकेट या अन्य हथियार को गर्म कर नष्ट करता है। इससे छोटे, हल्के और कम रडार सिग्नेचर वाले खतरे से भी निपटा जा सकता है।

तेल अवीव थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज के अनुसार आयरन डोम द्वारा दागी गई प्रत्येक इंटरसेप्टर मिसाइल की लागत लगभग 50,000 डॉलर (42 लाख रुपए) आती है। यह खराब मौसम सहित कम दृश्यता की स्थिति में अच्छी तरह से काम नहीं करती है।

यह भी पढ़ें- उत्तर कोरिया के मिसाइल टेस्ट से खौफ में अमेरिका, मुख्य भूमि तक कर सकता है अटैक

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