67 बार आजीवन कारावास, 5200 साल की जेल...हमास के इस आतंकी को मिली सबसे बड़ी सजा

इजराइल पर हमले के लिए हमास ने बड़ी साजिश रची। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी तैयारी लंबे समय से चल रही थी। इस हमले के कई मास्टरमाइंड बताए जा रहे हैं। इनमें से एक को इजराइल इतिहास का सबसे लंबा सजा सुना चुका है। एक सैनिक के बदले उसकी इजराइल ने रिहाई की थी।

Israel Hamas War : इजराइल और हमास के बीच भयंकर युद्ध चल रहा है। इजराइल गाजा पर लगातार हमले पर हमला कर रहा है। 7 अक्टूबर को हमास ने इजराइल पर हमला कर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। इस हमले का नाम हमास ने 'ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड' रखा था। इस हमले के मास्टरमाइंड 7 लोग थे, जिन्होंने पूरे हमले की प्लानिंग की। ये सभी गाजा में बैठकर पूरी हमास को कमांड करने का काम करते हैं। आइए जानते हैं उन सात लोगों (Hamas Leaders) के बारें में जिनका हाथ इजराइल हमले में बताया जा रहा है...

मोहम्मद दीफ (Mohammed Deif)

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजराइल पर हमले का पहला मास्टरमाइंड मोहम्मद दीफ है, जिसने उन सुरंगों को बनाने की पूरी प्लानिंग की, जहां से हमास लड़ाके इजराइल में घुसे। हमास सैन्य संगठन इजे-अल-दीन अल-क़ासम ब्रिगेड का प्रमुख मोहम्मद दीब अल-मसरी को मोहम्मद दीफ नाम से भी जाना जाता है। इसराइल के लोग उसे 'द मैन ऑफ डेथ' या 'द फाइटर विद नाइन लाइव्स' के नाम से बुलाते हैं। उसे मारने की कई बार कोशिश की गई लेकिन वह हर बार बच निकला। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि इन हमलों में उसकी एक आंख, एक पैर और एक हाथ चला गया। 2014 में गाजा में करीब 50 दिन तक हमले के दौरान इजराइली सेना उसकी हत्या करने में असफल रही। हालांकि, इस हमले में मोहम्मद दीफ की पत्नी और दो बच्चे मारे गए।

मारवान इस्सा (Marwan Issa)

मारवान इस्सा मोहम्मद दीफ का राइट हैंड माना जाता है। वह इज-अल-दीन अल-क़ासम ब्रिगेड के डिप्टी कमांडर-इन-चीफ और हमास आंदोलन के पॉलिटिकल और सैन्य ब्यूरो का सदस्य भी है। इजराइसी सेना उसे पांच साल तक हिरासत में रख चुकी है। इजराइल की हिट लिस्ट में उसका भी नाम है। इजराइल की जेल से रिहा होने के बाद इस्सा ने इज़-अल-दीन अल-क़ासम ब्रिगेड में सैन्य सिस्टम को बनाने में अहम रोल निभाया। उसे भी मारने की कई कोशिश की गई लेकिन हर बार वह बच निकला है। साल 2014 में इसराइली लड़ाकू विमानों ने उसके घर को तबाह कर दिया था, उनके भाई की मौत हो गई थी। साल 2011 तक उसका चेहरा किसी ने नहीं देखा था। उस साल उसकी एक फोटो सामने आई थी, जिसमें रिहाई के बाद उसका स्वागत हो रहा था।

याह्या सिनवार (Yahya Sinwar)

सिनवार हमास का नेता और गाजा पट्टी में संगठन के पॉलिटिकल ब्यूरो का प्रमुख है। 1962 में उसका जन्म हुआ था और वह हमास की सिक्योरिटी सर्विस 'मज्द' का संस्थापक है। मज्द गाजा की आंतरिक सुरक्षा देखता है। सिनवार को इजराइली सेना तीन बार गिरफ्तार कर चुकी है। पहली बार 1982 में उसकी गिरफ्तारी हुई और चार महीने तक जेल में रहा। 1988 में तीसरी बार गिरफ्तारी के बाद उसे उम्रकैद की सजा हुई लेकिन हमास की एक मिसाइल ने इसराइली सैनिक ग्लेड शालित के टैंक को तबाह कर उसे बंदी बना लिया था। जिसकी रिहाई के बदले सिनवार को 2011 में रिहा करना पड़ा।

अब्दुल्ला बरगूती

बरगूती का जन्म 1972 में कुवैत में हुआ था। 1990 में दूसरे खाड़ी युद्ध के बाद जॉर्डन चला आया। उसने दक्षिण कोरिया की यूनिवर्सिटी से तीन साल तक इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की लेकिन पढ़ाई पूरी नहीं कर सका और उसे फिलिस्तीन में एंट्री मिल गई। वह विस्फोटक बनाने में माहिर था। उसकी इसी क्षमता की वजह से उसे इज़-अल-दीन अल-क़ासम ब्रिगेड में शामिल किया गया। बरग़ूती ने अपने कस्बे के एक गोदाम में विस्फोटक और हथियार बनाने के लिए एक कारखाना भी लगाया था। साल 2003 में उसे भी इजराइली सेना ने गिरफ्तार किया था। तीन महीने तक उसे हिरासत में रखा गया और दर्जनों इजराइलियों की मौत का जिम्मेदार माना गा। उसे इसराइल के इतिहास में सबसे लंबी सजा दी गई और 67 आजीवन कारावास और 5200 साल की जेल की सजा सुनाई गई। कुछ समय के लिए उसे एकातंवास में रखा गया। जिसके बाद उसने भूख हड़ताल शुरू की और उसका एकांतवास खत्म हुआ। उसने जेल में 'प्रिंस ऑफ शैडो' नाम से एक किताब लिखी थी।

इस्माइल हानिया (Ismail Haniyeh)

हमास का पॉलिटिकल ब्यूरो प्रमुख और 10वीं फिलिस्तीनी सरकार का प्रधानमंत्री इस्माइल हानिया का उपनाम अबू-अल-अब्द है। फिलस्तीनी शरणार्थी शिविर में पैदा हुआ इस्माइल साल 2006 से ही फिलिस्तीन का प्रधानमंत्री है। 1989 में उसे तीन साल की कैद हुई थी। हमास के कई नेताओं के साथ उसे निर्वासित कर दिया गया था। जहां एक साल रहने के बाद वह गाजा लौट आया और 1997 में हमास आंदोलन के आध्यात्मिक नेता शेख अहमद यासीन के कार्यालय का प्रमुख बनाया गया। यहीं से उसकी हैसियत बढ़ गई। 6 मई 2017 को हानिया को हमास का पॉलिटिकल ब्यूरो चीफ चुना गया। अमेरिका ने साल 2018 में उसे आतंकी घोषित किया था।

खालिद मशाल

हमास आंदोलन के संस्थापकों में से एक खालिद मशाल शुरू से ही संगठन के पॉलिटिकल ब्यूरो का सदस्य है। 'अबू अल-वालिद' यानी मशाल का जन्म 1956 में वेस्ट बैंक के सिलवाड गांव में हुआ और प्राथमिक तक पढ़ाई करने के बाद कुवैत चला गया था। 1996 और 2017 तक वह हमास का पॉलिटिकल ब्यूरो अध्यक्ष भी रखा। 2004 में शेख अहमद यासीन की मौत के बाद उसे इसका नेता बनाया गया। इसराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने 1997 में मशाल को निशाना बनाया। उसकी हत्या की कोशिश की गई। जिस पर खूब बवाल मचा था।

महमूद जहार

1945 को गाजा में पैदा हुआ महमूद जहार की मां मिस्र की और पिता फिलिस्तीनी थे। काहिरा के ऐन शम्स विश्वविद्यालय से 1971 में उसने जनरल मेडिसिन में ग्रेजुएशन किया। 1976 में जनरल सर्जरी में पीजी करने के बाद गाजा के एक अस्पताल में डॉक्टर बन गया। जब उसकी राजनीतिक गतिविधियों की वजह से इसराइल ने उसे बर्खास्त किया तो उसके बाद वह हमास में सक्रिय हो गया। वह हमास के प्रमुख नेताओं में से एक है। हमास आंदोलन के राजनीतिक नेतृत्व का उसे सदस्य माना जाता है। हमास की स्थापना के 6 महीने के अंदर ही 1988 में उसे इजराइल ने गिरफ्तार किया और 1992 में दूसरे नेताओं के साथ मार्ज-अल-ज़ुहुर निर्वासित कर दिया गया था। जहां वह एक साल तक रहा।2005 में हमास ने चुनाव में बहुमत प्राप्त किया और हानिया की सरकार में जहार को विदेश मंत्री बनाया गया। 2003 में उसकी भी हत्या का प्रयास किया गया। कहा जाता है कि उसके घर पर इजराइल ने 5 क्विंटल का बम गिराया था। इस हमले में उसके बड़े बेटे की मौत हो गई थी। दूसरे बेटे की मौत 2008 में इजराइल हमले में हुई। ज़हार ने कई तरह की किताबें और नॉवेल लिखा है।

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