Bangladesh Jammat-e-Islami on India: बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार ने कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर लगा बैन हटा लिया है। बैन हटते ही पार्टी के टॉप लीडर भारत के खिलाफ जहर उगलने लगे हैं। जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख शफीकुर रहमान ने कहा कि हमारी पार्टी भारत के साथ स्थायी संबंध चाहती है, लेकिन इसके लिए पड़ोसी हमारे मामलों में टांग न अड़ाए।
जमात से भारत के संबंधों में अब भी सुधार की गुंजाइश
जमात-ए-इस्लामी के शफीकुर रहमान ने भारत को नसीहत देते हुए कहा- हम ढाका और नई दिल्ली के बीच मजबूत रिलेशन के पक्षधर हैं, लेकिन शर्त ये है कि पड़ोसी हमरे पर्सनल मामलों में दखलंदाजी न करे। उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों से शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान भारत से जमात के संबंधों में खटास आई है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इसमें सुधार नहीं हो सकता।
भारत विरोधी नहीं है जमात-ए-इस्लामी
जमात-ए-इस्लामी के नेता शफीकुर रहमान का कहना है कि हमारी पार्टी भारत के खिलाफ नहीं है। भारत हमारा पड़ोसी है और हम उससे एक बेहतर रिश्ता चाहते हैं। हालांकि, अतीत में उन्होंने कुछ ऐसे काम किए हैं, जो बांग्लादेश की जनता को बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं। हम बांग्लादेश के समर्थक हैं और उसके हितों में ही हमारी रुचि है।
एक-दूसरे के आतंरिक मुद्दों में हस्तक्षेप से बचें
जमात-ए-इस्लामी के नेता ने कहा- 2014 के बांग्लादेश चुनाव में भारत के एक सीनियर डिप्लोमैट ने ढाका दौरे के दौरान कहा कि चुनाव में किसे भाग लेना है और किसे नहीं। ये बर्दाश्त के बाहर है। हमारे आंतरिक मामलों में पड़ोसी देश की दखलंदाजी ठीक नहीं। बांग्लादेश के मामले में भारत को अपनी विदेश नीति का रीवैल्यूएशन करना चाहिए। साथ ही एक-दूसरे के आतंरिक मामलों में टांग अड़ाने से बचना चाहिए।
हसीना सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर लगाया था बैन
बांग्लादेश में शरिया कानून की वकालत करने वाली जमात-ए-इस्लामी पर सुप्रीम कोर्ट ने आम चुनाव में भाग लेने से रोक लगा दी थी। साथ ही पार्टी की इस्लामिक कट्टरता को देखते हुए शेख हसीना सरकार ने बैन लगा दिया था। शेख हसीना का तख्तापलट होने के बाद अब अंतरिम सरकार ने एक बार फिर बैन हटा लिया है।
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