
इस्लामाबाद : पाकिस्तान इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि जब एक महिला पाक के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनेगी। यह कारनाम करने वाली महिला का नाम है आयशा मलिक। दरअसस, हाल में ही पाक कि उच्चस्तरीय न्यायिक समिति ने जस्टिस आयशा मलिक (Justice Ayesha Malik) की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को मंजूरी दे दी। इस फैसले का देश के लोगों ने स्वागत किया है और कानूनविदों ने इसे ऐतिहासिक क्षण करार दिया है।
वकीलों, कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज समूहों ने किया स्वागत
इस कदम का वकीलों, कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज समूहों ने स्वागत किया गया है, इसे इस्लामी राष्ट्रों के न्यायिक इतिहास में एक निर्णायक क्षण कहा है। पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश गुलजार अहमद ने आयशा की नियुक्ति का समर्थन किया है। मलिक की नियुक्ति का पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने भी स्वागत किया है। गौरतलब है कि हाल में ही पाकिस्तान के न्यायिक आयोग ने आयशा मलिक के नाम को मंजूरी दे दी। इसके बाद यदि संसदीय समिति से मंजूरी मिल जाती है तो वह पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बन जाएंगी।
इस कदम को लोगों ने बताया मिल का पत्थर
मानवाधिकार आयोग ने इस कदम को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह लिंग विविधता में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आयोग ने कहा कि देश में केवल 17 फीसदी महिलाएं जज है और उच्च न्यायालयों में महिलाओं की भागीदारी 4।4 फीसदी से भी कम है। पर्यवेक्षकों (Observers) और अधिकार कार्यकर्ताओं (rights activists ) का मानना है कि इस कदम ने कांच की छत को तोड़ दिया है और उनकी नियुक्ति से कानूनी क्षेत्र में महिलाओं के लिए अवसरों में इजाफा होगा।
मलीका बोखारी ने ऐतिहासिक क्षण बताया
सत्तारूढ़ दल की विधायक और कानून और न्याय के संसदीय सचिव मलीका बोखारी ने इस कदम को पाकिस्तान के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहा कि आयशा मलिक एक सक्षम न्यायाधीश हैं और वह कानूनी क्षेत्र में महिलाओं के लिए आदर्श हैं। बोखारी ने कहा कि यह कांच की छत के टूटने की शुरुआत है और हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में अधिक महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में उच्च स्थान पर काबिज होंगी।
2012 में आयशा मलिक लाहौर हाईकोर्ट की जज बनीं
आयशा मलिक के करियर की बात करें तो उन्होंने अपना करियर कराची में फखरूद्दीन जी इब्राहिम एंड कंपनी से शुरू किया था। यहां पर उन्होंने 1997 से 2001 तक चार साल बिताए। इसके बाद उन्होंने अगले 10 बरसों में उन्होंने खूब नाम कमाया और कई मशहूर कानूनी फर्मों के साथ जुड़ी। 2012 में वह लाहौर हाईकोर्ट (Lahore High Court) की जज बनीं और कानून की दुनिया में खूब नाम कमाया और पाकिस्तान का एक बड़ा नाम बन गई।
हॉवर्ड स्कूल ऑफ लॉ से एलएलएम की हैं आयशा मलिक
आशा मलिक का जन्म तीन जून 1966 को हुआ था। उन्होंने कराची ग्रामर स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने कराची के ही गवर्नमेंट कालेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से स्नातक की पढ़ाई की। उनका कानूनी शिक्षा की तरफ रुझान हुआ और लाहौर के कॉलेज ऑफ लॉ से डिग्री लेने के बाद उन्होंने अमेरिका में मेसाच्यूसेट्स के हॉवर्ड स्कूल ऑफ लॉ से एलएलएम (विधि परास्नातक) की पढ़ाई की। उनकी उल्लेखनीय योग्यता का सम्मान करते हुए उन्हें 1998-1999 में ‘लंदन एच गैमोन फेलो’ चुना गया।
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