पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (PTI) के अध्यक्ष इमरान खान शुक्रवार को शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाने और दंगा भड़काने के मामले में लाहौर उच्च न्यायालय में पेश हुए। सुनवाई के बाद कोर्ट मे पाकिस्तान के पूर्व पीएम को प्रोटेक्टिव बेल दे दी है.
बता दें कि 6 अप्रैल को मजिस्ट्रेट मंजूर अहमद खान ने लाहौर के रमना पुलिस स्टेशन में इमरान के खिलाफ सरकारी संस्थाओं-और जनता के बीच नफरत फैलाने के आरोप में एफआईआरदर्ज की थी।
इसके बाद 10 अप्रैल को पूर्व प्रधानमंत्री ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अनुरोध किया कि रमना स्टेशन पर उनके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द कर दिया जाए। इसके बाद 12 अप्रैल को सुनवाई अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई थी।
इसके बाद न्यायमूर्ति आमेर फारूक ने मजिस्ट्रेट खान को अगली सुनवाई के लिए बुलाया और उन्हें जवाब देने के लिए कहा। उस सुनवाई में इमरान के वकील फैसल चौधरी ने कई चीजों पर आपत्ति जताई थी।
आज न्यायमूर्ति अली बकर नजफी ने लाहौर हाईकोर्ट में सुनवाई की अध्यक्षता की, जबकि बैरिस्टर सलमान सफदर अदालत में इमरान के वकील के रूप में पेश हुए। वकील ने अदालत से इमरान की प्रोटेक्टिव बेल के लिए अनुरोध किया।
आज न्यायमूर्ति अली बकर नजफी ने हाईकोर्ट में सुनवाई की अध्यक्षता की, जबकि बैरिस्टर सलमान सफदर अदालत में इमरान के वकील के रूप में पेश हुए। वकील ने अदालत से प्रोटेक्टिव बेल मांगी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने इमरान खान को 26 अप्रैल तक जमानत दे दी।
पीटीआई के आधिकारिक अकाउंट से शेयर किए गए एक वीडियो में इमरान अपने खिलाफ मामले पर एक सवाल का जवाब कह रहे हैं कि अगर कोई भी यह कह रहा है कि इमरान ने सेना को विभाजित करने की कोशिश की, तो उससे बड़ा मूर्ख दुनिया में कोई नहीं है।
एफआईआर के अनुसार खान ने जमान पार्क लाहौर से 19 मार्च को बीओएल न्यूज पर प्रसारित एक भाषण में इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ कई आरोप लगाए और कथित तौर पर उनका चरित्र हनन किया.
शिकायतकर्ता ने आगे आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने बयानों के माध्यम से सेना की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया, जिसके चलते विदेशी एजेंसियों ने स्थिति का फायदा उठाया।