सोवियत संघ के आखिरी प्रेसिडेंट मिखाइल गोर्बाचेव का निधन, जानिए क्यों अमेरिका के आगे झुकना पड़ा था

सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव का 91 साल की उम्र में निधन हो गया। रूसी समाचार एजेंसी ने सेंट्रल क्लिनिकल अस्पताल के एक बयान के हवाले से ये जानकारी दी। वे सोवियत संघ के पतन को रोकने में नाकाम रहे थे।

Amitabh Budholiya | Published : Aug 31, 2022 1:01 AM IST / Updated: Aug 31 2022, 06:33 AM IST

वर्ल्ड न्यूज. सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव(Last Soviet leader Mikhail Gorbachev) अब नहीं रहे हैं। 91 वर्षीय गोर्बाचेव की लंबी बीमारी के बाद निधन की खबर है। रूसी समाचार एजेंसी ने सेंट्रल क्लिनिकल अस्पताल के एक बयान के हवाले से ये जानकारी दी। वे सोवियत संघ के पतन को रोकने में नाकाम रहे थे। गोर्बाचेव ऐसे समय में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और राष्ट्रपति बने थे, जब अमेरिका जानी-दुश्मन था। वे सोवियत संघ को एक आधुनिक युग में ले जाने और कई सारे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के जनक थे। इसके विरोध में 1991 में कम्युनिस्ट पार्टी के कुछ नेता उनसे खुश नहीं थे। उनका तख्ता पलट करने की कोशिश की गई थी। उन पर अमेरिका का एजेंट होने का भी आरोप लगा था।

1990 में गोर्बाचेव को नोबेल शांति पुरस्कार मिला
मिखाइल गोर्बाचेव को बिना खून-खराबे के शीत युद्ध(Cold War) को समाप्त करने का श्रेय दिया जाता है। हालांकि वे सोवियत संघ के पतन को रोकने में नाकाम रहे थे। गोर्बाचेव का मंगलवार को निधन हुआ। रूस के सेंट्रल क्लिनिकल हॉस्पिटल ने एक बयान में कहा, "मिखाइल गोर्बाचेव का आज रात(मंगलवार) एक गंभीर और लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।" 1990 में गोर्बाचेव को नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। गोर्बाचेव को एक जोशीले सोवियत नेता के तौर पर माना जाता था। वे नागरिकों को स्वतंत्रता देकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को और अधिक मजबूत कम्युनिस्ट शासन देने के पक्षधर थे। यह अलग बात है कि 1989 में जब साम्यवादी पूर्वी यूरोप के सोवियत संघ में लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शन बढ़े, तो गोर्बाचेव ने बल प्रयोग करने में हिचक नहीं दिखाई थी।

उनके सुधार सोवियत संघ के टूटने की वजह बने
कहा जाता है कि उनके व्यापक आंतरिक सुधारों( internal reforms) ने सोवियत संघ को उस बिंदु तक कमजोर कर दिया कि वो बिखर गया। उस क्षण को मौजूदा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बीसवीं शताब्दी की सबसे बड़ी भू-राजनीतिक तबाही(greatest geopolitical catastrophe) करार दिया था। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने इंटरफैक्स समाचार एजेंसी को बताया कि पुतिन ने अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है। यूरोपीय आयोग के प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि गोर्बाचेव ने एक स्वतंत्र यूरोप के लिए रास्ता खोल दिया था। ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने यूक्रेन पर पुतिन के आक्रमण का हवाला देते हुए कहा कि गोर्बाचेव की सोवियत समाज को खोलने की अथक प्रतिबद्धता हम सभी के लिए एक उदाहरण है। दशकों के शीत युद्ध के तनाव और टकराव के बाद गोर्बाचेव द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ को पश्चिम के करीब लाए।

गोर्बाचेव के बारे में
गोर्बाचेव सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति (1990-91) रहे। उनका जन्म 2 मार्च 1931 को एक गरीब परिवार में हुआ था। गोर्बाचेव ने मास्को से लॉ की डिग्री ली थी। वे 1985 में सोवियत संघ के नए नेता चुने गए। 1985 से 1991 तक सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव रहे। 1988 से 1989 तक वह सुप्रीम सोवियत के अध्यक्ष बने।

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