मंगल ग्रह पर अनोखा साउंड ट्रैक, जानिए क्यों यहां आर्केस्ट्रा की धुन सबको अलग समय पर सुनाई देगी, NASA ने बताया

मिशन मंगल को लेकर नासा वैज्ञानिक बेहद संजीदगी से लगे हुए हैं। जीवन की संभावनाओं के बीच इस ग्रह पर पहली बार हुई साउंड रिकार्डिंग में कई अनोखे और चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 

Dheerendra Gopal | Published : Apr 2, 2022 2:06 AM IST

पेरिस। मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन की उम्मीद से हो रहे लगातार रिसर्च में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। इस ग्रह पर पहली बार ऑडियो रिकॉडिंग की गई है। रिकॉर्डिंग के बाद हुए रिसर्च में यह तो साफ है कि यह बेहद शांत ग्रह है लेकिन यहां दो अलग-अलग साउंड वैज्ञानिकों को चौका दिए हैं। पृथ्वी पर जहां एक ही साउंड है, जबकि मंगल ग्रह पर दो-दो प्रकार के साउंड रिकार्ड किए गए हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार दो अलग-अलग गति के साउंड रिकार्ड से साफ है कि खास तरह की विलंबित आवाज यहां देखी जा सकती है। 

पिछले साल शुरू हुई थी साउंड रिकार्डिंग

पिछले साल फरवरी में नासा के पर्सवेरेंस रोवर के मंगल पर उतरने के बाद, इसके दो माइक्रोफोनों ने रिकॉर्डिंग शुरू कर दी, जिससे वैज्ञानिकों को यह सुनने में मदद मिली कि लाल ग्रह पर साउंड कैसा है। नेचर जर्नल में शुक्रवार को प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पर्सवेरेंस के माइक्रोफोन द्वारा ली गई पांच घंटे की आवाज का अपना पहला विश्लेषण दिया। 
अज्ञात अशांति है मंगल ग्रह पर...

ऑडियो ने मंगल ग्रह पर पहले अज्ञात अशांति का खुलासा किया। अध्ययन के मुख्य लेखक और शूबॉक्स आकार के सुपरकैम के वैज्ञानिक सह-निदेशक सिल्वेस्ट्रे मौरिस ने कहा यहां दो प्रकार की गति का साउंड है। इसका खामियाजा बातचीत में भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि दो ध्वनि गति से यह तो साफ है कि दो से पांच मीटर (छह से 16 मीटर) के बीच बातचीत में बेहद कठिनाई होगी। एक दूसरे की आवाज पहुंचने में काफी समय लग जाएगी। अध्ययन ने पहली बार पुष्टि की कि मंगल ग्रह पर ध्वनि की गति धीमी है, जो पृथ्वी के 340 मीटर प्रति सेकंड की तुलना में 240 मीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा कर रही है।

अध्ययन में कहा गया है कि ऐसा इसलिए अपेक्षित था क्योंकि मंगल का वातावरण 95 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड है - पृथ्वी के 0.04 प्रतिशत की तुलना में - और लगभग 100 गुना पतला है, जिससे ध्वनि 20 डेसिबल कमजोर हो जाती है।

दूसरी गति से परेशान हो गए वैज्ञानिक

लेकिन वैज्ञानिक उस समय हैरान रह गए जब लेज़र द्वारा की गई ध्वनि 250 मीटर प्रति सेकंड - अपेक्षा से 10 मीटर तेज रिकार्ड हुई। मौरिस ने कहा कि मैं घबरा गया। मैंने खुद से कहा कि दो मापों में से एक गलत था क्योंकि पृथ्वी पर आपके पास ध्वनि की केवल एक गति है। उन्होंने खोज की थी कि मंगल की सतह पर ध्वनि की दो गति हैं - एक लेजर की झपकी जैसी उच्च-ध्वनियों के लिए, और दूसरी कम आवृत्तियों के लिए जैसे हेलीकॉप्टर रोटर की सीटी। इसका मतलब यह है कि मानव कानों को ऊँची-ऊँची आवाज़ें थोड़ी पहले सुनाई देती हैं।

मौरिस ने कहा, "पृथ्वी पर, ऑर्केस्ट्रा की आवाजें आप तक समान गति से पहुंचती हैं, चाहे वे कम हों या उच्च। लेकिन मंगल ग्रह पर कल्पना करें, यदि आप मंच से थोड़ी दूर हैं, तो एक बड़ी देरी होगी।" फ्रांसीसी सीएनआरएस शोध संस्थान ने एक बयान में कहा, "इन सभी कारकों से दो लोगों के लिए केवल पांच मीटर (16 फीट) की दूरी पर बातचीत करना मुश्किल हो जाएगा।"

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