रूस की ताकत से डरा US या वास्तव में Moscow के साथ तनाव न बढ़े इसलिए Minuteman III मिसाइल टेस्टिंग रोकी

यूक्रेन युद्ध के साथ ही दुनिया दो खेमों में बंट चुकी है। अमेरिका और रूस के बीच एक बार फिर शीत युद्ध शुरू हो चुका है। रूस द्वारा परमाणु नियंत्रण टीमों को हाई अलर्ट पर डालने से अमेरिका ने अपने टेस्टिंग कार्यक्रम रद्द कर दिया है।

Dheerendra Gopal | Published : Apr 2, 2022 1:20 AM IST / Updated: Apr 02 2022, 06:51 AM IST

वाशिंगटन। अमेरिकी सेना ने अपने Minuteman III अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का एक परीक्षण रद्द कर दिया है। अमेरिका ने यह कदम केवल यूक्रेन युद्ध के दौरान अपने प्रतिद्वंद्वी देश रूस के बीच परमाणु तनाव को कम करने की नियत से उठाया है। अमेरिकी वायुसेना ने मीडिया को बताया कि पेंटागन नहीं चाहता है कि किसी प्रकार की कोई गलतफहमी हो और रूस समझे कि वह टेस्टिंग उसके खिलाफ इस्तेमाल करने या डराने के लिए कर रहा है। 

पहली बार पेंटागन ने किया टेस्टिंग में देरी का ऐलान

पेंटागन ने पहली बार 2 मार्च को परीक्षण में देरी की घोषणा की, जब रूस ने कहा कि वह अपने परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर रख रहा है। वाशिंगटन ने कहा कि उस समय यह महत्वपूर्ण था कि संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस दोनों गलत अनुमान के जोखिम को ध्यान में रखें और उन जोखिमों को कम करने के लिए कदम उठाएं।

वायु सेना के प्रवक्ता एन स्टेफनेक ने कहा कि LGM-30G Minuteman III मिसाइल के परीक्षण को रद्द करने का निर्णय तनाव को कम करने के लिए लिया गया है। अगला मिनटमैन III परीक्षण इस वर्ष के अंत में होने वाला है। स्टेफनेक ने कहा, "वायु सेना को अमेरिका की सामरिक ताकतों की तैयारी पर पूरा भरोसा है।"

यह है इसकी खासियत

परमाणु-सक्षम Minuteman III अमेरिकी सेना के रणनीतिक शस्त्रागार का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसकी सीमा 6,000 से अधिक मील (9,660-प्लस किमी) है। यह लगभग 15,000 मील प्रति घंटे (24,000 किमी प्रति घंटे) की गति से यात्रा कर सकता है। लॉन्च क्रू द्वारा संचालित कठोर भूमिगत साइलो में मिसाइलों को फैलाया जाता है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फरवरी में कहा था कि उनके देश के परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर रखा जाना चाहिए, जिससे आशंका है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से परमाणु युद्ध हो सकता है। लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने अब तक वाशिंगटन के परमाणु अलर्ट स्तरों को बदलने का कोई कारण नहीं देखा है।

शीत युद्ध के बाद रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के पास परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा शस्त्रागार है, जिसने 20 वीं शताब्दी के अधिकांश समय में दुनिया को विभाजित किया, पश्चिम को सोवियत संघ और उसके सहयोगियों के खिलाफ खड़ा किया।

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