भगोड़े नीरव मोदी पर चला लंदन हाई कोर्ट का डंडा, BOI को भारी भरकम रकम देने का दिया आदेश, आंकड़े जान उड़ जाएंगे होश

लंदन हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले के तहत बैंक ऑफ इंडिया को अधिकार दिया कि वो नीरव मोदी से वसूली करने के लिए दुबई स्थित कंपनी समेत दुनिया में कहीं भी नीरव मोदी की संपत्तियों और परिसंपत्तियों की नीलामी कर सकता है।

sourav kumar | Published : Mar 9, 2024 2:02 AM IST / Updated: Mar 09 2024, 07:38 AM IST

नीरव मोदी। भारत से लंदन भागे हुए हीरा कारोबारी नीरव मोदी पर लंदन हाई कोर्ट का डंडा चला है। उन्होंने शुक्रवार (8 मार्च) को थेमसाइड जेल में बंद हीरा कारोबारी नीरव मोदी के खिलाफ एक फैसला सुनाया, जिसमें  बैंक ऑफ इंडिया को 8 मिलियन डॉलर का भुगतान करने आदेश दिया गया। इससे पहले बैंक ऑफ इंडिया ने नीरव मोदी की दुबई स्थित कंपनी फायरस्टार डायमंड FZE से 8 मिलियन डॉलर की वसूली के लिए लंदन के हाई कोर्ट में अर्जी दायर की थी।

लंदन हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले के तहत बैंक ऑफ इंडिया को अधिकार दिया कि वो नीरव मोदी से वसूली करने के लिए दुबई स्थित कंपनी समेत दुनिया में कहीं भी नीरव मोदी की संपत्तियों और परिसंपत्तियों की नीलामी कर सकता है। जिस 8 मिलियन डॉलर (66 करोड़) रुपये देने का आदेश दिया गया है, उसमें 4 मिलियन डॉलर मूलधन और 4 मिलियन डॉलर का ब्याज शामिल है। वहीं इस मामले की रॉयड्स विथी किंग के सॉलिसिटर मिलन कपाड़िया डायरेक्ट कर रहे थे, जबकि BOI का प्रतिनिधित्व बैरिस्टर टॉम बेस्ली कर रहे थे। नीरव मोदी पर कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए  BOI के वकील मिलन कपाड़िया ने कहा, "हम फैसले से संतुष्ट हैं और अगले कदम की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

नीरव मोदी के पास केस के चार्ज देने तक के पैसे नहीं

एक जानकारी के मुताबिक BOI नीरव मोदी के फायरस्टार को 9 मिलियन डॉलर का कर्ज दिया था, लेकिन जब बैंक ने 2018 में पुनर्भुगतान की मांग की तो वो पैसे देने में असमर्थ निकला। चूंकि फायरस्टार डायमंड एफजेडई दुबई में स्थित है, इसलिए यूके अदालत का सारांश निर्णय वहां अधिक आसानी से लागू किया जा सकता है।

इसके अलावा नीरव मोदी फायरस्टार FZE के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे और गारंटर भी थे। वहीं लंदन की जेल में बंद नीरव मोदी ने अभी तक अपने प्रत्यर्पण मामले के कानूनी बिलों का भी निपटान नहीं किया है, जो वो हार चुके थे। वो कानूनी लागत में £150,000 से अधिक का भुगतान न करने के लिए लंदन में बार्किंग साइड मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश हुए थे।

उन्होंने मजिस्ट्रेट से कहा कि उनके पास किसी भी तरह का फंड मौजूद नहीं है, क्योंकि, भारत सरकार ने उसकी संपत्तियों पर कब्जा कर लिया है। उसने मजिस्ट्रेट से कहा कि वह दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर अवैतनिक तौर पर कानूनी लागतों का मासिक भुगतान करेगा।

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