UNSC में आतंकवादियों को संरक्षण देने पर जयशंकर का चीन-पाक पर तल्ख लहजा, महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित

 विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार(14 दिसंबर) को कहा कि दुनिया हिंसा, सशस्त्र संघर्ष और मानवीय आपात स्थिति से जूझ रही है, महात्मा गांधी के आदर्शों को दुनिया भर में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई जारी रखनी चाहिए।

Amitabh Budholiya | Published : Dec 15, 2022 12:59 AM IST / Updated: Dec 15 2022, 06:30 AM IST

संयुक्त राष्ट्र(United Nations). विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार(14 दिसंबर) को कहा कि दुनिया हिंसा, सशस्त्र संघर्ष और मानवीय आपात स्थिति(armed conflicts and humanitarian emergencies) से जूझ रही है, महात्मा गांधी के आदर्शों को दुनिया भर में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई जारी रखनी चाहिए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के उत्तरी लॉन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और महासभा के 77वें सत्र के अध्यक्ष साबा कोरोसी(Csaba Korosi) के साथ संयुक्त राष्ट्र के उत्तरी लॉन में महात्मा गांधी की प्रतिमा का संयुक्त रूप से अनावरण करते हुए यह टिप्पणी की। (पहली फाइल फोटो)

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक खुली बहस के दौरान चीन और उसके करीबी सहयोगी पाकिस्तान पर सीधा हमला करते हुए कहा कि आतंकवाद को उचित ठहराने और साजिशकर्ताओं को बचाने के लिए बहुपक्षीय मंचों का दुरुपयोग किया जा रहा है। विदेश मंत्री ने यूएनएससी में ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा तथा सुधारित बहुपक्षवाद के लिए नई दिशा’ विषय पर खुली बहस की अध्यक्षता करते हुए दो टूक कहा कि संघर्ष ने ऐसी स्थिति बना दी है कि बहुपक्षीय मंच पर चलताऊ रवैया नहीं रखा जा सकता। जयशंकर ने उल्लेख किया कि आतंकवाद की चुनौती पर दुनिया एकजुटता दिखा दी रही है, लेकिन साजिशकर्ताओं को सही ठहराने और बचाने के लिए बहुपक्षीय मंचों का दुरुपयोग  हो रहा है।


जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा, "संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में महात्मा गांधी की प्रतिमा के अनावरण में UNSG @antonioguterres और @UN_PGA Csaba Korosi के साथ जुड़कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इन पवित्र परिसरों में उनकी उपस्थिति संयुक्त राष्ट्र को अपने संस्थापक आदर्शों को जीने के लिए प्रेरित करती है।" समारोह में संयुक्त राष्ट्र के राजदूतों और नेताओं के साथ-साथ सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने भाग लिया। समारोह में 'वैष्णव जन तो' का भावपूर्ण गायन भी शामिल था।

गांधी प्रतिमा संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत की ओर से एक उपहार स्वरूप प्रसिद्ध भारतीय मूर्तिकार पद्मश्री अवार्डी राम सुतार द्वारा बनाई गई है, जिन्होंने 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को भी डिजाइन किया है। यह प्रतिमा संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में स्थापित गांधीजी की पहली मूर्ति है, जिसमें दुनिया भर के उपहारों और कलाकृतियों को गर्व से प्रदर्शित किया गया है।

जयशंकर ने इस कार्यक्रम में अपनी टिप्पणी में कहा-"संघर्ष और असमानता मानव स्थिति का एक अनिवार्य हिस्सा प्रतीत होता है। दुनिया के लिए महात्मा गांधी का सबसे बड़ा सबक यह था कि ऐसा नहीं हो सकता। संघर्षों को हल किया जा सकता है, और असमानताओं को दूर किया जा सकता है।"

उन्होंने कहा कि चूंकि भारत ने निर्वाचित सदस्य के रूप में अपने मौजूदा दो साल के कार्यकाल में इस महीने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाली है, इसलिए हम अपने राष्ट्रपिता की इस मूर्ति को समर्पित करते हैं। यह भारत के 1.3 अरब लोगों की ओर से संयुक्त राष्ट्र को एक उपहार है।

मंत्री ने कहा कि गांधी प्रतिमा की स्थापना ऐसे समय हुई है, जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है। यह महात्मा के मूल्यों की प्रासंगिकता और सार्वभौमिक अपील के लिए एक श्रद्धांजलि है।

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण सभी को इन आदर्शों का बेहतर तरीके से पालन करने और एक शांतिपूर्ण दुनिया बनाने के लिए एक समय पर याद दिलाता है, जो संयुक्त राष्ट्र का मूल उद्देश्य है।

उन्होंने कहा, "गांधीजी अहिंसा, सच्चाई और करुणा के प्रतीक हैं, शांति के प्रतीक हैं, एक प्रतीक (जो) हमें दुनिया को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर जगह बनाने के हमारे कर्तव्य की याद दिलाते हैं।"


गुटेरेस ने समारोह में अपनी टिप्पणी में गांधी की प्रतिमा के उदार दान के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में इसकी स्थापना हमें उन मूल्यों की याद दिलाएगी जिनका गांधी ने समर्थन किया था और जिसके लिए हम प्रतिबद्ध हैं।"

गुटेरेस ने यह स्वीकार करते हुए कि विविधता भारत की सबसे बड़ी संपत्तियों में से एक है, कहा कि गांधी ने धर्मों, संस्कृतियों और समुदायों के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों के लिए प्रयास किया। गुटेरेस ने कहा कि उनके जीवन का फोकस अहिंसक प्रतिरोध के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक सुधार पर जोर देना था, जबकि शांति की संस्कृति का निर्माण करना था।

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