
नई दिल्ली। चीन की पांच दिन की यात्रा कर मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू (Maldives President Muizzu) लौट आए हैं। अपने देश लौटते ही उन्होंने शनिवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि किसी भी देश को उनके देश को धमकाने का अधिकार नहीं है।
मुइज्जू ने यह बयान मालदीव और भारत के बीच चल रहे विवाद को लेकर दिया है। नए साल के शुरुआत में भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप की यात्रा की थी। इसके बाद मालदीव के नेताओं और मंत्रियों ने नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों के खिलाफ अपमानजनक बातें सोशल मीडिया पर की थी। इसके बाद विवाद शुरू हुआ था।
मुइज्जू ने चीन से कहा भेजे और पर्यटक
मालदीव लौटने के बाद मुइज्जू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। इस दौरान उन्होंने कहा, "हम छोटे हो सकते हैं, लेकिन यह आपको हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं देता।" मुइज्जू चीन की यात्रा पर थे। उन्होंने चीन से अपील की है कि वह अपने और अधिक पर्यटकों को मालदीव भेजे और इसके लिए प्रयासों को तेज करे। मुइज्जू ने चीन में कहा, "कोविड से पहले चीन हमारा (मालदीव का) नंबर एक बाजार था। मेरा अनुरोध है कि चीन इस स्थिति को फिर से हासिल करने के लिए प्रयास तेज करे।"
कैसे शुरू हुआ मालदीव भारत विवाद?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2-3 जनवरी को लक्षद्वीप की यात्रा की थी। बाद में उन्होंने लक्षद्वीप में बिताए समय की अपनी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर की थी। पीएम मोदी ने लोगों से लक्षद्वीप आने की अपील की थी। इसके बाद लक्षद्वीप की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड में पहुंच गईं। गूगल सर्च पर लक्षद्वीप ट्रेंड करने लगा।
मालदीव के सत्ताधारी दल के नेताओं को यह नागवार गुजरा। इसके कई नेताओं और यहां तक कि मालदीव सरकार के मंत्रियों ने पीएम नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों के खिलाफ अपमानजनक बातें की। इससे सोशल मीडिया पर मालवीद के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़क गया। लोग मालदीव का बहिष्कार करने की बातें करने लगे। बहुत से लोगों ने अपने मालदीव यात्रा को रद्द करने की घोषणा की।
इसके बाद 7 जनवरी को मालदीव ने पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट करने वाले तीन मंत्रियों को निलंबित किया। अगले दिन भारत के विदेश मंत्रालय ने मालदीव के राजदूत को बुलाया और सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के खिलाफ की जा रही बातों को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त कीं।
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